इस पावन त्यौहार के, अजब-ग़ज़ब हैं ढंग।१। -- जली होलिका आग में, बचा भक्त प्रहलाद। चमत्कार को देखकर, उमड़ा है आल्हाद।२। -- दहीबड़े-पापड़ सजे, गुझिया का मिष्ठान। रंग-गुलाल लगा सभी, गाते होली गान।३। -- मिला हुआ है भाँग में, अदरख-तुलसीपत्र। बौराये से लोग हैं, यत्र-तत्र-सर्वत्र।४। -- कुर्ता होली खेलता, अंगिया के सँग आज। रँगा प्यार के रंग में, अपना देश-समाज।५। -- रंग-बिरंगे हो रहे, गोरे-श्यामल गाल। हँसी-ठिठोली कर रहे, राधा सँग गोपाल।६। -- देख खेत में धान्य को, हर्षित भारतवंश। होली में अर्पित किया, होलक का कुछ अंश।७। -- स्वागत में नववर्ष के, खुलकर खिला पलाश। नवसम्वत्सर लायेगा, जीवन में उल्लास।८। -- होली अब होली हुई, छोड़ गयी सन्देश। भस्म बुराई को करो, निर्मल हो परिवेश।९। -- |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
सोमवार, 29 मार्च 2021
दोहे "कुर्ता होली खेलता, अंगिया के सँग आज" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
-
सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
कुर्ता होली खेलता अंगिया के संग आज -फाग इससे सुंदर और सजीव क्या वर्णन हो सकता है -गढउ फाग शास्त्रिं सब्दन में ,आंचलिक रंग छटा से संसिक्त रचना है अपने परम आदरणीय शास्त्री जी की जो नेहा के रंग सबको लगाते रहतें हैं साल भार शेष बचे चिठ्ठाकारों को :
जवाब देंहटाएंचर्चा में हैं आज तो, होली के ही रंग।
इस पावन त्यौहार के, अजब-ग़ज़ब हैं ढंग।१।
--
जली होलिका आग में, बचा भक्त प्रहलाद।
चमत्कार को देखकर, उमड़ा है आल्हाद।२।
--
दहीबड़े-पापड़ सजे, गुझिया का मिष्ठान।
रंग-गुलाल लगा सभी, गाते होली गान।३।
--
मिला हुआ है भाँग में, अदरख-तुलसीपत्र।
बौराये से लोग हैं, यत्र-तत्र-सर्वत्र।४।
--
कुर्ता होली खेलता, अंगिया के सँग आज।
रँगा प्यार के रंग में, अपना देश-समाज।५।
--
रंग-बिरंगे हो रहे, गोरे-श्यामल गाल।
हँसी-ठिठोली कर रहे, राधा सँग गोपाल।६।
--
देख खेत में धान्य को, हर्षित भारतवंश।
होली में अर्पित किया, होलक का कुछ अंश।७।
--
स्वागत में नववर्ष के, खुलकर खिला पलाश।
नवसम्वत्सर लायेगा, जीवन में उल्लास।८।
--
होली अब होली हुई, छोड़ गयी सन्देश।
भस्म बुराई को करो, निर्मल हो परिवेश।९।
कुर्ता होली खेलता, अंगिया के सँग आज।
जवाब देंहटाएंरँगा प्यार के रंग में, अपना देश-समाज।।
--
रंग-बिरंगे हो रहे, गोरे-श्यामल गाल।
हँसी-ठिठोली कर रहे, राधा सँग गोपाल।।
सारे दोहे कमाल के हैं।
आपके सृजन को नमन 🙏
होली पर्व पर वंदन...
अभिनंदन ...
रंग गुलाल का टीका-चंदन...
होली की ढेर सारी रंगबिरंगी शुभकामनाएं !!!
आदर सहित,
डॉ. वर्षा सिंह
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ🙏
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएं, सपरिवार स्वीकारें
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-3-21) को "कली केसरी पिचकारी"(चर्चा अंक-4021) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
चर्चा में हैं आज तो, होली के ही रंग।
जवाब देंहटाएंइस पावन त्यौहार के, अजब-ग़ज़ब हैं ढंग।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीय शास्त्री जी आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं परिवार सहित
बहुत सुंदर रचना। होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और रंग भरे, रस भरे दोहे !
जवाब देंहटाएंहोली के रंग में रंगे दोहे.....
जवाब देंहटाएं