मधुमक्खी है नाम तुम्हारा। शहद बनाना काम तुम्हारा।। -- छत्ते में मधु को रखती हो। कभी नही इसको चखती हो।। -- कंजूसी इतनी करती हो। रोज तिजोरी को भरती हो।। -- दान-पुण्य का काम नही है। दया-धर्म का नाम नही है।। -- इक दिन डाका पड़ जायेगा। शहद-मोम सब उड़ जायेगा।। -- मिट जायेगा यह घर-बार। लुट जायेगा यह संसार।। -- जो मिल-बाँट हमेशा खाता। कभी नही वो है पछताता।। -- |
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जवाब देंहटाएंMunger News
बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ❤️
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजो मिल-बाँट हमेशा खाता।
जवाब देंहटाएंकभी नही वो है पछताता।।
बहुत सुंदर बालगीत, आदरणीय 🌹🙏🌹
बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंजो मिल-बाँट हमेशा खाता।
जवाब देंहटाएंकभी नही वो है पछताता।।
संदेशपूर्ण बहुत बढ़िया बालगीत...
बालमनोविज्ञान के ज्ञाता हैं आप आदरणीय, नमन आपको 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04.03.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
एक बढिय़ा संदेश देती कविता।
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मनभावन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर,प्रेरक गीत..
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन
सादर