प्रेम-प्रीत के रंग ले,
आया है ऋतुराज।
मना रहा है प्रणय दिन,
होकर मस्त समाज।१।
चोंच कपोत लड़ा
रहे, करते दिल की
बात।
यापन करते
रहेंगे, जन्म-ज़िन्दगी
साथ।२।
शाखाओं पर आ
गये, नवपल्लव
परिधान।
मौसम है मधुमास
का, पंछी गाते
गान।३।
फूलों-कलियों पर चढ़ा,
अब उपवन में रंग।
वासन्ती परिधान के,
बड़े निराले ढंग।४।
सेमल पर छाये सुमन,
वन में खिला पलाश।
सूरज देता ऊर्जा,
निर्मल है आकाश।५।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 13 फ़रवरी 2013
"आया है ऋतुराज" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
मधुमास का सुन्दर वर्णन !
जवाब देंहटाएंऋतुराज वसंत की मन भावन वर्णनसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंLatest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
बहुत प्यारी...मनभावन प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
सुंदर कविता..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अफज़ल गुरु आतंकवादी था कश्मीरी या कोई और नहीं ..... आप भी जाने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
जवाब देंहटाएंमधुमास का सुन्दर वर्णन, बहुत प्यारी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमधुमास का बहुत ही सुन्दर चित्रण,मधुमास में तो सभी झुम उठते हैं,सादर आभार आपका।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय | |
मनभावन !
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी के दिन हमेशा... बचपन में वो पीले कपड़े पहनना बहुत याद है... और वो बेर का प्रसाद भी .. :))
~सादर!!!
bahut sunder......
जवाब देंहटाएंफूलों-कलियों पर चढ़ा, अब उपवन में रंग।
जवाब देंहटाएंवासन्ती परिधान के, बड़े निराले ढंग !!
सुन्दर सुन्दर बसंत.....!
तरु-पल्लव में झूमता
जवाब देंहटाएंआया-आया बसंत ...
बहुत सुंदर रचना
साभार
अति सुंदर ....मनमोहक रचना
जवाब देंहटाएंवसंत ऋतु का बड़ा मनमोहक शब्द चित्र खींचा है आपने रचना में ! बहुत अनुपम अभिव्यक्ति ! बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंएक मस्ती भरी बहार आयी..
जवाब देंहटाएंबसन्त पंचमी की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं