मौसम के बदलाव से, बदल रहा है ढंग।
तोते-तोती पर चढ़ा, प्रणयदिवस का रंग।१।
गंगा मैली हो गई, बहती दूषित धार।
चूनरिया अब लाज की, हुई तार-बेतार।२।
रोज-रोज लुटती यहाँ, माँ-बहनों की लाज।
असभ्यता की दौड़ में, शामिल हुआ समाज।३।
प्यार नहीं है वासना, ये तो है उपहार।
जो आँखों में उमड़ता, वो है सच्चा प्यार।४।
मन के-मन के साथ में, मिलते जहाँ विचार।
आपस का विश्वास है, रिश्तों का आधार।५।
बिना बात के हो जहाँ, आपस में तक़रार।
कभी न जीवन में करो, ऐसा ओछा प्यार।६।
मनमन्दिर में धार लो. प्रेमदिवस का सार।
जो जीवनभर निभ सके, वो होता है प्यार।७।
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शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013
"बदल रहा है ढंग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मन के-मन के साथ में, मिलते जहाँ विचार।
जवाब देंहटाएंआपस का विश्वास है, रिश्तों का आधार।५।
उम्दा बात ! बहुर सुन्दर !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति प्रेम दिवस के साथ साथ सामाजिक बुराई को दर्शाया
जवाब देंहटाएंगुज़ारिश : ''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''
सादर-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
जवाब देंहटाएंमनमन्दिर में धार लो. प्रेमदिवस का सार।
जो जीवनभर निभ सके, वो होता है प्यार।७।
बसंत के संग मदनोत्सव के रंग .वेलेंटाइन डे की अप्रतिम पोस्ट .
.सराहनीय अभिव्यक्ति ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
जवाब देंहटाएंमौसम के बदलाव से, बदल रहा है ढंग।
जवाब देंहटाएंतोते-तोती पर चढ़ा, प्रणय दिवस का रंग,,,,,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,
RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
baat pate ki..... :)
जवाब देंहटाएंbahut khhob sir ji!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (9-2-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
रोज-रोज लुटती यहाँ, माँ-बहनों की लाज।
जवाब देंहटाएंअसभ्यता की दौड़ में, शामिल हुआ समाज।।
समाज के लोगों के मुंह पर तमाचा है सर जी।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.....
सुंदर प्रस्तुति शास्त्री सर!
जवाब देंहटाएंसच्चा प्यार वही है...जहाँ मन के मनके मिलें... :)
~सादर!!!
प्यार निर्मल सा रहे, बेझिझक बहता रहे।
जवाब देंहटाएंलाजवाब दोहे... बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती,मन से मन का मिलन ही सच्चा प्यार होता है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया भाव लिए है दोहावली गीत सा , भाई साहब .बेहतरीन रूपकात्मक्ता लिए हुए .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंमौसम के बदलाव से, बदल रहा है ढंग।
तोते-तोती पर चढ़ा, प्रणयदिवस का रंग।१।
गंगा मैली हो गई, बहती दूषित धार।
चूनरिया अब लाज की, हुई तार-बेतार।२।
superb
जवाब देंहटाएंshared to my profile at facebook with a link of the blog .Thanks https://www.facebook.com/rajeshjainrohtak
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