खो चुके सब, कुछ नहीं अब, शेष खोने के लिए।
कहाँ से लायें धरा, अब
बीज बोने के लिए।।
सिर्फ चुल्लू में सिमटकर, रह
गई गंगा यहाँ,
अब कहाँ जायें बताओ, पाप
धोने के लिए।
पत्थरों के साथ रह कर, हो
गये हैं संगे-दिल,
अब नहीं ज़ज़्बात बाकी, रुदन
रोने के लिए।
पर्वतों से टूट कर, बहने
लगे जब धार में,
चल पड़े हैं सफर पर, भगवान
होने के लिए।
"रूप" को हमने तराशा, पारखी
के वास्ते,
किन्तु कोई मिल न पाया, भार
ढोने के लिए।
|
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शनिवार, 9 फ़रवरी 2013
"ग़ज़ल-खो चुके सब कुछ" (डॉ,रूपचन्द्र शास्स्त्री 'मयंक')
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पर्वतों से टूट कर, बहने लगे जब धार में,
जवाब देंहटाएंचल पड़े हैं सफर पर, भगवान होने के लिए।।
सबसे धांसू शेर
शुभकामनायें गुरुवर-
क्षमा सहित
हटाएंइस धरा में क्या धरा, कुछ सोच ऊंची कीजिये-
आसमाँ में आज उड़िए, स्वागता है स्वागता है ।
पाप धोने की जरुरत, आज रविकर क्या पड़ी ।
पाप का यह घड़ा आखिर, सार्थक है योग्यता है ।
वाह जी वाह क्या बात कही है आप ने....सुन्दर अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सर जी ,बदलती दुनिया एक मिशाले
जवाब देंहटाएंतहरीर है,रो रही है मातु गंगे,जो मुल्क की तक़दीर है**********^^^^^^^******** पर्वतों से टूट कर, बहने लगे जब धार में,
चल पड़े हैं सफर पर, भगवान होने के लिए।
waah guru ji
जवाब देंहटाएंगुज़ारिश : ''..प्यार को प्यार ही रहने दो ..''
जवाब देंहटाएंदुचंदु चित अरु दुभाखें दुइ रसन रेतस रूप ।
जवाब देंहटाएंदुइ बरन सिरु रुधिर राखें नेता बन भुवन भूप ।।
शायद मैं बहुत छोटा हूं कोई भी टिप्पणी करने के लिए! अप्रतिम!
जवाब देंहटाएंhttp://voice-brijesh.blogspot.com
पर्वतों से टूट कर, बहने लगे जब धार में,
जवाब देंहटाएंचल पड़े हैं सफर पर, भगवान होने के लिए।
बेहद उम्दा पंक्तियाँ...बधाई !
लूट गये सब, शेष नहीं कुछ
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता..
सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल रविवार 10-फरवरी-13 को चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना .........
जवाब देंहटाएंआभार!!!!
सिर्फ चुल्लू में सिमटकर, रह गई गंगा यहाँ,
जवाब देंहटाएंअब कहाँ जायें बताओ, पाप धोने के लिए।,,,,बहुत उम्दा शेर
RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
भावनात्मक बात कही है आपने ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
जवाब देंहटाएंwaah bahut badhiya....
जवाब देंहटाएंसच है ....सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंsundar bhavpurn prastuti***ko samarpit ye panktiya ****"rang basanti ,sang basanti,jivan me ullas bhara ho,aanchal me sarso fule,aakho me madhumas chupa ho....."
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर शेर
जवाब देंहटाएंसुंदर बेहतरीन प्रस्तुति हेतु बधाई आपको
जवाब देंहटाएंसिर्फ चुल्लू में सिमटकर, रह गई गंगा यहाँ,
जवाब देंहटाएंअब कहाँ जायें बताओ, पाप धोने के लिए...बहुत गहरी बात कही आपने