आजादी को
छः दशक
मगर अब भी
गांधी जिन्दा हैं
हमारे देश में...!
–
कोई बनता है गांधी
शौक से..
और कोई बनता है
मजबूरी में...!
--
मुलायम चमड़े की ...
और कोई पहनता है
प्लास्टिक की
खाली बोतलों में
कत्तरों की
पट्टी बनाकर ..!
मेरे देश के.
यही तो हैं असली
गांधी !
क्योंकि
मजबूरी का नाम
महात्मा गांधी!
|
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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013
"मजबूरी का नाम गांधी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी..... जाने कब हालात बदलेंगें ?
जवाब देंहटाएंआदरणीय गुरुदेव श्री प्रणाम वर्तमान परिस्थिति का सुन्दर वर्णन किया है आपने, बहुत ही मर्मस्पशी रचना है हार्दिक बधाई स्वीकारें इस शानदार रचना हेतु.
जवाब देंहटाएंvartman hakikat ka sundar dastabej ,
जवाब देंहटाएंसच्चा गांधी यही है बाकि सब मुखौटे में है.
जवाब देंहटाएंlatest postअनुभूति : कुम्भ मेला
सुन्दर ओर सच्ची बात..
जवाब देंहटाएंयही तो हैं असली
जवाब देंहटाएंगांधी !
क्योंकि
मजबूरी का नाम
महात्मा गांधी!
सच्ची तस्वीर उकेरी है।
दुख है कि लोगों ने गाँधी को भी सीमित कर दिया है।
जवाब देंहटाएंयही तो हैं असली
जवाब देंहटाएंगांधी !
क्योंकि
मजबूरी का नाम
महात्मा गांधी!
बहुत सुंदर
सच्चा गांधी कोई नहीं बनता है सब बनतें हैं मज़बूरी में इसीलिए तो कहा जाता मज़बूरी का नाम गांधी ...............
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना !!
bahut khoob likha hai aur chitr bhi bahut kamal hai.........
जवाब देंहटाएंजो मजबूर है उनकी किसी को फ़िक्र ही नहीं है।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति .अर्थ व्यवस्था का विद्रूप उजागर करती हुई .
बहुत सुन्दर चित्रण
जवाब देंहटाएं