जो दिल से उपजे वही, होता
सच्चा प्यार।
मिलन नहीं है वासना, आलिंगन
उपहार।१।
पश्चिम के परिवेश की, ले
करके हम आड़।
आलिंगन के नाम पर, करते
हैं खिलवाड़।२।
एकदिवस के लिए क्यों, करते
हो व्यापार।
जीवनभर करते रहो, मीठा-मीठा
प्यार।३।
मानवता अपनाइए, यही
हमारा मन्त्र।
वासनाओं के लिए क्यो, ढोंग
और षड़यन्त्र।४।
अपनाओ निज सभ्यता, छोड़
विदेशी ढंग।
आलिंगन के साथ हो, जीवनभर
का संग।५।
|
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रविवार, 10 फ़रवरी 2013
"आलिंगन उपहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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भारतीय संस्कृति के दर्शन-
जवाब देंहटाएंआभार गुरु जी -
आलिंगन आँगन लगन, मन लिंगार्चन जाग |
आलिंगी आली जले, आग बुझा के भाग ||
आलिंगी = आलिंगन करने वाला
आली = सखी
आलिंगन दिवस पर सुन्दर दोहे....
जवाब देंहटाएंअच्छी फटकार लगाते हुये दोहे.....
जवाब देंहटाएंअपनाओ निज सभ्यता, छोड़ विदेशी ढंग।
जवाब देंहटाएंआलिंगन के साथ हो, जीवनभर का संग।,,,,सुंदर दोहे,,,
वासना पर अमर प्रेम का वार अब खैर नही सरकार
जवाब देंहटाएंहमे अपनी सभ्यता संस्कृति को नही भूलना चाहिए,बहुत ही सुन्दर दोहे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, एकदिवस के लिए क्यों, करते हो व्यापार।
जवाब देंहटाएंजीवनभर करते रहो, मीठा-मीठा प्यार।३।
मानवता अपनाइए, यही हमारा मन्त्र।
वासनाओं के लिए क्यो, ढोंग और षड़यन्त्र।४।
अपनाओ निज सभ्यता, छोड़ विदेशी ढंग।
आलिंगन के साथ हो, जीवनभर का संग।५।
आयातित में कहाँ प्रतिष्ठा?
जवाब देंहटाएंचित्र कविता को जीवंत कर रहा है क्या बात है !!
जवाब देंहटाएंसही बात
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहे...दिवस मनाएं लोग मगर अपनी सभ्यता संस्कृति का ख्याल रखते हुए...
जवाब देंहटाएंbahut sunder ...
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar udgaar hai shastri ji ...aaj ke parivesh pe ek bahut hi sanyat evm sarthak tippani..
जवाब देंहटाएंहम प्रेम को भी भयंकर प्रेम का दर्जा दे रहे है। अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंअपनाओ निज सभ्यता, छोड़ विदेशी ढंग।
जवाब देंहटाएंआलिंगन के साथ हो, जीवनभर का संग...
अच्छी कविता..
जो दिल से उपजे वही, होता सच्चा प्यार।
जवाब देंहटाएंमिलन नहीं है वासना, आलिंगन उपहार।१।
सुन्दर प्रस्तुति प्रेम दिवस पर -एक बिम्ब यह भी दिनकर जी के शब्दों में (उर्वशी ):
रूप की आराधना का मार्ग आलिंगन नहीं तो और क्या है ,
स्नेह का सौन्दर्य को उपहार रस चुम्बन नहीं तो और क्या है ?
जो दिल से उपजे वही, होता सच्चा प्यार।
जवाब देंहटाएंमिलन नहीं है वासना, आलिंगन उपहार।१।
सुन्दर प्रस्तुति प्रेम दिवस पर -एक बिम्ब यह भी दिनकर जी के शब्दों में (उर्वशी ):
रूप की आराधना का मार्ग आलिंगन नहीं तो और क्या है ,
स्नेह का सौन्दर्य को उपहार रस चुम्बन नहीं तो और क्या है ?
bahut pyaare dohe...bahut saralta se bahut gehri baat kahi hai.
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