मेरे गीत को सुनिए-
अर्चना चावजी के मधुर स्वर में!
सुख के बादल कभी न बरसे,
दुख-सन्ताप बहुत झेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
अनजाने से अपने लगते,
बेगाने से सपने लगते,
जिनको पाक-साफ समझा था, उनके ही अन्तस् मैले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
बन्धक आजादी खादी में,
संसद शामिल बर्बादी में,
बलिदानों की बलिवेदी पर,
लगते कहीं नही मेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
ज्ञानी है मूरख से हारा,
दूषित है गंगा की धारा,
टिम-टिम करते गुरू गगन में,
चाँद बने बैठे चेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
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शनिवार, 16 फ़रवरी 2013
"मेरा एक पुराना गीत" (डॉ.रूपचन्द्र सास्त्री 'मयंक')
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कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
wah.. behtareen.. rachna aur awaaj to behtareen hai hi :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया स्वर -
जवाब देंहटाएंशब्द-भाव अतुलनीय -
आभार गुरु जी ||
गुरू जी ये तो पुराना भी नये से बढिया है
जवाब देंहटाएंज्ञानी है मूरख से हारा,
जवाब देंहटाएंदूषित है गंगा की धारा,
टिम-टिम करते गुरू गगन में,
चाँद बने बैठे चेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!
आभार ! बहुत सुन्दर और सार्थक रचना.
बहुत सुन्दर गीत बन गया अर्चना जी की आवाज पा कर |
जवाब देंहटाएंआशा
sundar geet, mohak swar, संसद शामिल बर्बादी में,
जवाब देंहटाएंबलिदानों की बलिवेदी पर,
लगते कहीं नही मेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
ज्ञानी है मूरख से हारा,
दूषित है गंगा की धारा,
टिम-टिम करते गुरू गगन में,
चाँद बने बैठे चेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंअर्चना जी आवाज़ का जादू भी चल गया :)
जीवन की आपाधापी में,
जवाब देंहटाएंझंझावात बहुत फैले हैं!!
बहुत ही बढियां और संवेदनामयी कविता...
सही... झंझावात बहुत फैले हैं...~अर्थपूर्ण रचना सर!
जवाब देंहटाएं~सादर!
वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रविष्टि आज दिनांक 18-02-2013 को चर्चामंच-1159 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
bahut achhi rachna ..hamesha ki tarah .us par se madhur aawaz men gana
जवाब देंहटाएंsundar geet ... badhai
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण, सुन्दर और सार्थक रचना ** बन्धक आजादी खादी में,
जवाब देंहटाएंसंसद शामिल बर्बादी में,
बलिदानों की बलिवेदी पर,
लगते कहीं नही मेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को सुनिए-
अर्चना चावजी के मधुर स्वर में!
सुख के बादल कभी न बरसे,
दुख-सन्ताप बहुत झेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
अनजाने से अपने लगते,
बेगाने से सपने लगते,
जिनको पाक-साफ समझा था,
उनके ही अन्तस् मैले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
बन्धक आजादी खादी में,
संसद शामिल बर्बादी में,
बलिदानों की बलिवेदी पर,
लगते कहीं नही मेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
ज्ञानी है मूरख से हारा,
दूषित है गंगा की धारा,
टिम-टिम करते गुरू गगन में,
बहुत खूब . !बहुत सुन्दर रूपकात्मक गीत .
एक सुखद सा आये भोर..
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर आवाज़.......
सादर
अनु