पहरा देते
वहाँ सिपाही।
मातृभूमि के
लिए शहादत,
देते हैं
जाँबाज सिपाही।।
कैसे सुधरे
दशा देश की,
शासन की चलती
मनचाही।
सुरसा सी
बढ़ती महँगाई,
मचा रही है
यहाँ तबाही।
जिनको राज-पाठ सौंपा था,
करते वो हर जगह उगाही।
इसीलिए तो घूस
माँगती,
अफसरशाही-नौकरशाही।
देशभक्त की
किस्मत फूटी,
गद्दारों को
बालूशाही।
लोकतन्त्र के
रखवालों को,
रोज चाहिए, सुरा-सुराही।
दोराहे पर जीवन भटका,
कैसी है ये
आवाजाही।
उम्र ढल गई
चलते-चलते,
लक्ष्य नहीं
पाता है राही।
|
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आज की सच्चाई को बयां करती सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंhttp://kaynatanusha.blogspot.in/
ये हमारा दुर्भाग्य है शास्त्री जी , शहीदों की शहादत तो बेकार चली गयी देश फिर से चल पड़ा है हमें गुलाम बनाने के रस्ते पर. अपने ही घर में हम ठगे जा रहे हैं और अपने ही लोगों की देश के नाम पर बलि भी दे रहे हैं . जो राज्य कर रहे हैं वे सुरक्षित हैं सिर्फ और सातों सुख भोग रहे है .
जवाब देंहटाएंsahi kaha aapne
जवाब देंहटाएंबढिया, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है गुरुदेव -
जवाब देंहटाएंआभार-
बालू शाही है अगर, तो निकलेगा तेल |
आम रेत में क्या धरा, चढ़ टिब्बे पर खेल |
चढ़ टिब्बे पर खेल, खिलाती नौकर-शाही |
मँहगाई की आँच, बड़ी ही दारुण दाही |
लूट रहे हैं धन धान्य, होय हर जगह उगाही |
आम चाटते नमक, ख़ास की बालूशाही ||
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-02-2013) के चर्चा मंच-1165 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने. ,सुन्दर गीत !
जवाब देंहटाएंlatest postमेरे विचार मेरी अनुभूति: मेरी और उनकी बातें
बड़ी अजब दुनिया, बहरी है..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना है दिल को छू गयीǃ आभार.....
जवाब देंहटाएंSARTHAK,SUNDAR AYR ATI SAMVEDANSHIL PRASTUTI
जवाब देंहटाएंsahi likha hai aapne ..bahut khoob
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा पंक्तियाँ ..... वहा बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसच बयाँ करती आपकी रचना बस सही हाल बयाँ किया है आपने देश का
मेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
वाह | बहुत ही भावपूर्ण वर्तमान परिस्थियों को दर्शित करती आपकी यह रचना महोदय | शुभकामनाएं आपको |
जवाब देंहटाएंआज की स्थिति को दर्शा रही है आपकी यह कविता.
जवाब देंहटाएंउम्र ढल गई चलते-चलते,
जवाब देंहटाएंलक्ष्य नहीं पाता है राही।
बढ़िया चित्रण कुराज का .शासकी य अव्यवस्था का .
बहुत ही वास्तविक चित्रण , सुन्दर काव्य गठन, बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंसादर
नीरज'नीर'
www.kavineeraj.blogspot.com
मेरी नई कविता "बम की जात" पढकर आशीर्वाद दें.
सटीक रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर एवं सटीक ..... वर्तमान को दर्शाती रचना ..
जवाब देंहटाएंबधाई ..
सुंदर !
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