कटी है उम्र
गीतों में, मगर लिखना नहीं
आया।
तभी तो हाट में
हमको, अभी बिकना नहीं
आया।
ज़माने में
फकीरों का नहीं होता ठिकाना कुछ,
उन्हें तो एक
डाली पर कभी टिकना नहीं आया।
सम्भाला होश है
जबसे, रहे हम मस्त
फाकों में,
लगें किस पेड़
पर रोटी, हुनर इतना नहीं
आया।
मिला ओहदा बहुत
ऊँचा, मगर किरदार हैं
गिरवीं,
तभी तो देश की
ख़ातिर हमें मिटना नहीं आया।
नहीं पहचान
पाये "रूप" को अब तक दरिन्दों के,
पहाड़ा देशभक्ति का
हमें गिनना नहीं आया।
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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013
"ग़ज़ल-लिखना नहीं आया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आदरणीय रूपचन्द्र जी वहा क्या बात आपके लेखनी का तो कोई जवाब नहीं क्या खूब कहा है
जवाब देंहटाएंकटी है उम्र गीतों में, मगर लिखना नहीं आया।
तभी तो हाट में हमको, अभी बिकना नहीं आया
मेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
लाजवाब ....आपकी लेखनी को सलाम
जवाब देंहटाएंकटी है उम्र गीतों में, मगर लिखना नहीं आया।
तभी तो हाट में हमको, अभी बिकना नहीं आया।
ज़माने में फकीरों का नहीं होता ठिकाना कुछ,
उन्हें तो एक डाली पर कभी टिकना नहीं आया।
बहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंसशक्त अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंBlogVarta.com पहला हिंदी ब्लोग्गेर्स का मंच है जो ब्लॉग एग्रेगेटर के साथ साथ हिंदी कम्युनिटी वेबसाइट भी है! आज ही सदस्य बनें और अपना ब्लॉग जोड़ें!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
www.blogvarta.com
कटी है उम्र गीतों में, मगर लिखना नहीं आया।
जवाब देंहटाएंतभी तो हाट में हमको, अभी बिकना नहीं आया।...bahut sundar abhivyaki shashtri ji
new postक्षणिकाएँ
.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .अरे भई मेरा पीछा छोडो आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएंआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंनहीं पहचान पाये "रूप" को अब तक दरिन्दों के,
जवाब देंहटाएंपहाड़ा देशभक्ति का हमें गिनना नहीं आया।
बहुत सुन्दर !
क्या बात है शास्त्री जी, बहुत अच्छा लिखा है.
जवाब देंहटाएंbahut sundar gazal... kash ham sab aise hi ho jate
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ ………हकीकत का बयाँ करती लाजवाब गज़ल है।
जवाब देंहटाएंकोई जवाब नहीं,लाजवाब गज़ल
जवाब देंहटाएंमिला ओहदा बहुत ऊँचा, मगर किरदार हैं गिरवीं,
जवाब देंहटाएंतभी तो देश की ख़ातिर हमें मिटना नहीं आया।
लाजबाब बेहतरीन गजल ,,,,वाह !!! क्या बात है
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ek ek pankti padhti aur dil se waah nikalti...lajawab :)
जवाब देंहटाएंशाश्त्री जी नमन ! आपको लिखना आया ,हमें पढ़ना नहीं आया .....सच यही है ....बहुत -२ शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंgreat composition
जवाब देंहटाएंलगता है दुनिया में लोगों को स्वार्थ के अलावा और कुछ नहीं आया। अच्छी रचना है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी ग़ज़ल...शास्त्री सर!
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
बहुत प्रभावी और सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंकटी है उम्र गीतों में, मगर लिखना नहीं आया।
जवाब देंहटाएंतभी तो हाट में हमको, अभी बिकना नहीं आया।
नि:शब्द करती पंक्तियाँ........