आज सुनिए मेरा यह गीत! इसको मधुर स्वर में गाया है - अर्चना चावजी ने! मंजिलें पास खुद, चलके आती नही! अब जला लो मशालें, गली-गाँव में, रोशनी पास खुद, चलके आती नही। राह कितनी भले ही सरल हो मगर, मंजिलें पास खुद, चलके आती नही।। लक्ष्य छोटा हो, या हो बड़ा ही जटिल, चाहे राही हो सीधा, या हो कुछ कुटिल, चलना होगा स्वयं ही बढ़ा कर कदम- साधना पास खुद, चलके आती नही।। दो कदम तुम चलो, दो कदम वो चले, दूर हो जायेंगे, एक दिन फासले, स्वप्न बुनने से चलता नही काम है- जिन्दगी पास खुद, चलके आती नही।। ख्वाब जन्नत के, नाहक सजाता है क्यों, ढोल मनमाने , नाहक बजाता है क्यों , चाह मिलती हैं, मर जाने के बाद ही- बन्दगी पास खुद, चलके आती नही।। |
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रविवार, 24 फ़रवरी 2013
“गीत मेरा:- स्वर-अर्चना चावजी का...” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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लक्ष्य छोटा हो, या हो बड़ा ही जटिल,
जवाब देंहटाएंचाहे राही हो सीधा, या हो कुछ कुटिल,
चलना होगा स्वयं ही बढ़ा कर कदम-
साधना पास खुद, चलके आती नही।।
बहुत शानदार शास्त्री जी !
बहुत प्रेरणादायक है.
जवाब देंहटाएंराह कितनी भले ही सरल हो मगर,
जवाब देंहटाएंमंजिलें पास खुद, चलके आती नही।।
वाह बेहद उम्दा गीत
बहुत उम्दा और प्रेरणादायकअब जला लो मशालें, गली-गाँव में,
जवाब देंहटाएंरोशनी पास खुद, चलके आती नही।
राह कितनी भले ही सरल हो मगर,
मंजिलें पास खुद, चलके आती नही।।
लक्ष्य छोटा हो, या हो बड़ा ही जटिल,
चाहे राही हो सीधा, या हो कुछ कुटिल,
चलना होगा स्वयं ही बढ़ा कर कदम-
साधना पास खुद, चलके आती नही।।
बहुत ही सुन्दर..
जवाब देंहटाएं.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार अकलमंद ऐसे दुनिया में तबाही करते हैं . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएंbeautiful
जवाब देंहटाएंआभार आदरेया -
जवाब देंहटाएंगुरु जी के गीत को स्वर दिया आपने-
दो कदम तुम चलो, दो कदम वो चले,
जवाब देंहटाएंदूर हो जायेंगे, एक दिन फासले,
स्वप्न बुनने से चलता नही काम है-
जिन्दगी पास खुद, चलके आती नही।।
बहुत सुन्दर ....