मित्रों!
आज विश्व गौरय्या दिवस है! खेतों में विष भरा हुआ है,
ज़हरीले हैं ताल-तलय्या।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या?
अन्न उगाने के लालच में,
ज़हर भरी हम खाद लगाते,
खाकर जहरीले भोजन को,
रोगों को हम पास बुलाते,
घटती जाती हैं दुनिया में,
अपनी ये प्यारी गौरय्या।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या??
चिड़िया का तो छोटा तन है,
छोटे तन में छोटा मन है,
विष को नहीं पचा पाती है,
इसीलिए तो मर जाती है,
सुबह जगाने वाली जग को,
अपनी ये प्यारी गौरय्या।।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या??
गिद्धों के अस्तित्व लुप्त हैं,
चिड़ियाएँ भी अब विलुप्त हैं,
खुशियों में मातम पसरा है,
अपनी बंजर हुई धरा है,
नहीं दिखाई देती हमको,
अपनी ये प्यारी गौरय्या।।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या??
|
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बुधवार, 20 मार्च 2013
"कैसे बचे यहाँ गौरय्या?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत अच्छी रचना....
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए...
नन्ही सी चिरैया आखिर बचे भी तो कैसे???
सादर
अनु
बढ़िया है गुरु जी-
जवाब देंहटाएंमेरे क्वार्टर पर तो पक्षियों की कलरव रूकती ही नहीं-
बड़े मजे से रहते हैं तरह तरह के जीव-
सादर
वाह ! बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआहा बेहद सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय गुरुदेव श्री वाह आनंद आ गया हार्दिक बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंsunder rachna ,abhaar
जवाब देंहटाएंsundar bhav aur chinta svabhavik hai...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है. मैं खुश हूं, कि मेरे आंगन में अभी भी गौरैया आती हैं, दाना चुगने.
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक पर्यावरण सचेत रचना .गौरैया की अपचयन दर (मेटाबोलिज्म )बहुत ज्यादा होती है प्रदूषण की मार सबसे पहले इसी पे पड़ ती है यह घरौंदा छोड़ भाग जाती है .
जवाब देंहटाएंप्रेरणास्पद रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
sir ji,vastav me vilupt hoti gayrayeeye chinta ka vishy hai,mere ghar me sir ji,abhi in gaurayeeon ki gungunaht jari hai,der hone par jagati bhi hai dane ke liye
जवाब देंहटाएंविश्व गौरैया दिवस पर सारगर्भित रचना........
जवाब देंहटाएंबचपन की याद दिलाती गौरया..
जवाब देंहटाएंछोटी सी गौरेया के दुःख से रूबरू कराती शानदार प्रेरक रचना !!
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय !!
प्यारी नन्ही गौरैया की चहक सदा बनी रहे .....
जवाब देंहटाएंभारत में तो बहुत बड़ा खतरा आने वाला है पर्यावरण के दोहन के कारण.
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंनन्ही सी गौरैया का नन्हा सा दुःख..लेकिन इसका हर्जाना मानव को ही भुगतना होगा..
जवाब देंहटाएंविषाक्त हवा विषाक्त भोजन ना जाने किस किस को निग्लेंगे जिनके संग खेलते अपना बचपन बीता वो गोरैय्या कहाँ है अब ,बहुत मार्मिक लिखा है आपने बधाई इस सार्थक लेखन हेतु|
जवाब देंहटाएंjab usaki laathi chalegi tab Gouraiyya ke liye dikhave kaa kaanun banaane waale giddh bhi nasht ho jaayenge
जवाब देंहटाएंSundar bhav liye man ko chhuti rachana ... JAY HO !
वाकई..गौरैयों को बचाना बेहद आवश्यक है..बहुत सुंदर कविता
जवाब देंहटाएं