व्यर्थ न समय
गवाँइए, इससे मुँह मत
फेर।१।
समय-समय की
बात है, समय-समय के
ढंग।
जग में होते
समय के, बहुत निराले
ढंग।२।
पल-पल में है
बदलता, सरल कभी है
वक्र।
रुकता-थकता
है नहीं, कभी समय का
चक्र।३।
समय न करता
है दया, जब अपनी पर
आय।
ज्ञानी-ध्यानी-बली
को, देता धूल
चटाय।४।
गया समय आता
नहीं, करनी को कर
आज।
मत कर
सोच-विचार तू, करले अपने
काज।५।
|
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सोमवार, 4 मार्च 2013
"दोहे-व्यर्थ न समय गवाँइए" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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समय पर बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक दोहे की प्रस्तुति,सादर नमन आदरणीय.
जवाब देंहटाएंबहुत सही है समय यह, बहुत सही उपदेश |
जवाब देंहटाएंसमय पालना नियम से, काटे सारे क्लेश ||
आदरणीय गुरुदेव श्री सादर प्रणाम, समय कितना अनमोल है कोई आपसे जाने. समय की फिर भी कीमत है परन्तु आपके द्वारा रचे दोहे अनमोल हैं. हार्दिक बधाई गुरुदेव श्री
जवाब देंहटाएंसमय न करता है दया, जब अपनी पर आय।
जवाब देंहटाएंज्ञानी-ध्यानी-बली को, देता धूल चटाय।४।
.बहुत सही सराहनीय अभिव्यक्ति आभार सौतेली माँ की ही बुराई :सौतेले बाप का जिक्र नहीं आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार मोहपाश को छोड़ सही रास्ता दिखाएँ .
गया समय आता नही, करनी को कर आज।
जवाब देंहटाएंमत कर सोच-विचार तू, करले अपने काज।५।
तभी तो समय को बडा बलवान कहा गया है ………सुन्दर दोहे
समय समय का फेर !
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश !
समय का मौल बताते अनमोल दोहे !!
जवाब देंहटाएंअनमोल समय का महत्त्व
जवाब देंहटाएंबताते दोहे....सार्थक......
गुरु जी समय कि कीमत आपसे बेहतर कौन बता सकता है ,समय कि कद्र करनी ही चाहिए
जवाब देंहटाएंसमय बड़ा बलवान, इससे मुँह न फेरें।
जवाब देंहटाएंगुरु जी plz check कीजिये
जवाब देंहटाएंगया समय आता नहीं ,करलो यत्न हजार
कोई भी न सह पाता ,कठिन समय का वार
सरिता जी!
जवाब देंहटाएंआपने यह दोहा लिखा है टिप्पणी में-
--
गया समय आता नहीं , करलो यत्न हजार।
कोई भी न सह पाता , कठिन समय का वार।।
--
पहली लाइन तो ठीक बन गयी है, मगर दूसरी नहीं बन पायी है-
दूसरी लाइन इस प्रकार होनी चाहिए-
"कोई सह पाता नहीं,कठिन समय का वार।।"
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है|
जवाब देंहटाएंक्या बात है शास्त्री जी .समय पर बेहतरीन रचना .
जवाब देंहटाएंसमय समय की बात है,समय समय का फेर,
जवाब देंहटाएंसमय लौट आता नही,समय रहत प्रभु टेर,,,,,
Recent post: रंग,
बहुत सुन्दर मार्गदर्शक दोहे।
जवाब देंहटाएंसादर!
समय न करता है दया, जब अपनी पर आय।
जवाब देंहटाएंज्ञानी-ध्यानी-बली को, देता धूल चटाय।४।
बिलकुल सही- सुन्दर प्रस्तुति
latest post होली
आपने तो मनुज बली नहिं होत है... की याद दिला दी..
जवाब देंहटाएंसमय के महत्व को सार्थक करती सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रेरक दोहे।
जवाब देंहटाएंसार्थक सर जी
जवाब देंहटाएंबहुत खूब आपके भावो का एक दम सटीक आकलन करती रचना
जवाब देंहटाएंआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?
समय के महत्व को बताते हुए बेहतरीन दोहे ।
जवाब देंहटाएंसादर नमन!
अति सुन्दर व सटीक...!!
जवाब देंहटाएं