रंग बरसते हैं फागुन में, पीले-हरे-गुलाबी।
फाग खेलने को आये हैं,
बादल आज शराबी।।
मस्ती में ये उमड़-घुमड़कर, करते हैं मनचाही,
चन्दा के उजले माथे पर, पोत रहे हैं स्याही,
शर्म-लिहाज आज तो इनको, आती नहीं ज़रा भी।
फाग खेलने को आये हैं,
बादल आज शराबी।।
सरसों फूली हुई खेत में, गेहूँ हुए सुनहरे,
फूलों-कलियों के आँगन में, भँवरे आकर ठहरे,
खोल रहे लज्जा के ताले, लेकर अपनी चाबी।
फाग खेलने को आये हैं, बादल आज शराबी।।
कलकल-छलछल बहती जाती, सरिताओं में धारा,
निर्मल जल सागर में जाकर, बन जाता है खारा,
आज प्रदूषण जन-जीवन में, करता बहुत खराबी।
फाग खेलने को आये हैं, बादल आज शराबी।।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 29 मार्च 2013
"बादल हुआ शराबी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
बहुत सुन्दर शब्द चित्रण.
जवाब देंहटाएंbhasha,bhav aym sanyojan ki bejod prastuti,sadar
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय !!
बहुत सुन्दर,इन पर भी आधुनिक सभ्यता का असर हो गया है !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंमस्ती में ये उमड़-घुमड़कर, करते हैं मनचाही,
चन्दा के उजले माथे पर, पोत रहे हैं स्याही,
सुन्दर!!!
सादर
अनु
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (30-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
बहुत सुंदर भावअभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ,,,इस पोस्ट को कल के चर्चा मंच में प्रकाशित करने का कष्ट करे,,,आभार,,,
RECENT POST: होली की हुडदंग ( भाग -२ )
बहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
आज कल मौसम फिर से करवट ले रहा है ...
जवाब देंहटाएंवाह वाह.. .बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंवाह....बेहतरीन प्रभु...होली मुबारक!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढियाँ .. आप बहुत अच्छा लिखतेँ ।
जवाब देंहटाएंमेरा ठिकाना _>> वरुण की दुनियाँ
बहुत सुन्दर....होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
जवाब देंहटाएंपधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...
फागुन के मद में मतवाले बादलों कि मनमानी ,,,बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएं