खो गये जाने
कहाँ सारे सुमन।
हो गया है
आज वीराना चमन।।
आज क्यों बंजर हुई अपनी धरा,
लील ली
किसने यहाँ की उर्वरा,
अब यहाँ
कैसे उगायें धान्य-धन।
हो गया है
आज वीराना चमन।।
आज गंगा भी
विषैली हो गयी,
पतित-पावन
धार मैली हो गयी,
अब यहाँ
कैसे करें हम आचमन?
हो गया है
आज वीराना चमन।।
देशभक्तों
का नहीं कुछ मान है,
हो रहा
गद्दार का सम्मान है,
अब कहाँ से
आयेगा चैनो-अमन?
हो गया है
आज वीराना चमन।।
घूस देकर
देश की सरकार को,
अब विदेशी आ
गये व्यापार को,
हो रहा
बेरोज़गारों का दमन।
हो गया है
आज वीराना चमन।।
दासता का पथ
नहीं अब दूर है,
दम्भ में
शासक बहुत ही चूर है,
कौन माता का
करेगा अब नमन?
हो गया है
आज वीराना चमन।।
|
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शनिवार, 2 मार्च 2013
"वीराना चमन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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देशभक्तों का नहीं कुछ मान है,
जवाब देंहटाएंहो रहा गद्दार का सम्मान है,
अब कहाँ से आयेगा चैनो-अमन?
हो गया है आज वीराना चमन।।
क्या कहने, सही बात
अच्छी रचना
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जवाब देंहटाएंधन्यवाद
www.blogvarta.com
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (02-03-2013) के चर्चा मंच 1172 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंदासता का पथ नहीं अब दूर है,दम्भ में शासक बहुत ही चूर है,
जवाब देंहटाएंकौन माता का करेगा अब नमन?हो गया है आज वीराना चमन।।
बहुत सही कहा है आपने !!
sundar bhav avam ati sundar shabdon me prastut hakikt,
जवाब देंहटाएंएक एक बात सही कही है आपने आभार छोटी मोटी मांगे न कर , अब राज्य इसे बनवाएँगे .” आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएंदेशभक्तों का नहीं कुछ मान है,
जवाब देंहटाएंहो रहा गद्दार का सम्मान है,
बहुत ही सार्थक लिखे है गुरुवर,आज अपने देश में हालत ऐसे ही हैं.
सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवस्तुस्थिति से अवगत कराती-
जवाब देंहटाएंझकझोरती रचना-
आभार गुरु जी-
राना जी छत पर पड़े, गढ़ में बड़े वजीर |
हटाएंनई नई तरकीब से, दे जन जन को पीर |
दे जन जन को पीर, नीर गंगा जहरीला |
मँहगाई *अजदहा, समूचा कुनबा लीला |
रविकर लीला गजब, मरे कुल नानी नाना |
बजट बिराना पेश, देखता रहा बिराना ||
अजदहा=बड़ा अजगर
बिराना=पराया / मुँह चिढाना
जब स्वयं का स्वार्थ सिद्ध करने वालों की फेहरिस्त लम्बी होती चलेगी तो ऐसे ही हालत होने है ......सार्थक प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंकड़वा सच है ये. सुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंगीत क्या आज की बद-इंतजामिया पर सटीक टिपण्णी है यह .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंसटीक टिप्पिनी ,देशप्रेम याद आ गया ,जो 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही याद आता है
जवाब देंहटाएंjab tak badlegee nahee maansiktaa deshwaasiyon kee ,sthiti nahee badlegee ,
जवाब देंहटाएंaisee sarkaarein aatee jaatee rahengee,jantaa dukhdaa rotee rahegee
बहुत ही सार्थक और सुन्दर अभिव्यक्ति ,सादर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक सटीक रचना
जवाब देंहटाएंRECENT POST: पिता.
आज गंगा भी विषैली हो गयी,
जवाब देंहटाएंपतित-पावन धार मैली हो गयी,
अब यहाँ कैसे करें हम आचमन?
हो गया है आज वीराना चमन।।
...बहुत सटीक और प्रभावी रचना...आभार
sunder geet...
जवाब देंहटाएंदेश की परवाह किसे रह गयी आज के भारत में. गिनती के लोग बचे होंगे. सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंदेशप्रेम को उजागर करती अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंवर्तमान परिस्थिति पर सुन्दर गीत द्वारा किया गया कटाक्ष | बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएंसच को उजागर करती रचना .... बधाई !
जवाब देंहटाएंआप की ये सुंदर रचना शुकरवार यानी 08-03-2013 को http://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com पर लिंक की जा रही है। हो सके तो आप भी इस हलचल में आकर हमे आशिर्वाद दें।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ।
मेरे देश को दुर्भाग्य से मुक्ति दे दे ईश्वर।
जवाब देंहटाएंसत्य का दर्पन दिखाती रचना..अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंदूरदर्शिता से परिपूर्ण बहुत सुंदर लाजबाब प्रस्तुति हार्दिक बधाई आदरणीय शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएं