हे नीलकंठ हे महादेव!
हे नीलकंठ हे महादेव!
तुम पंचदेव में महादेव!!
तुम विघ्नविनाशक के ताता
जो तुमको मन से है ध्याता
उसका सब संकट मिट जाता
भोले-भण्डारी महादेव!
तुम पंचदेव में महादेव!!
कर्ता-धर्ता-हर्ता सुधीर
तुम सुरसेना के महावीर
दुर्गम पर्वतवासी सुबीर
हे निराकार-साकार देव!
तुम पंचदेव में महादेव!!
नन्दी तुमको लगता प्यारा
माथे पर शशि को है धारा
धरती पर सुरसरि को तारा
हे कालकूट हे महादेव!
तुम पंचदेव में महादेव!!
त्रिशूल. जटा, डमरूधारी
दुष्टों के हो तुम संहारी
बाघम्बरधारी वनचारी
हे दुष्टदलन, हे महादेव!
तुम पंचदेव में महादेव!! जो शिवलिंग की पूजा करता वो पापकर्म से है डरता भवसागर से वो ही तरता उस पर करते तुम कृपा देव! तुम पंचदेव में महादेव!! |
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शनिवार, 9 मार्च 2013
"तुम पंचदेव में महादेव" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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bahut sundar rachna...har har Mahadev !
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की सबको हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंhttp://guzarish66.blogspot.in/2012/10/blog-post_16.html
बहुत सुंदर स्तुति
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
सादर !
जय जय शंकर-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरणीय ||
जय जय शंकर, भोले शंकर
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ, जय भोले नाथ
जवाब देंहटाएंहर हर महादेव ....
जवाब देंहटाएंसामयिक और सटीक प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ...
हर हर महादेव.आपको महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना... महाशिवरात्रि की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहर हर महादेव
बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंआपको महाशिवरात्रि की बधाई व शुभकामनाएं ... भोले भंडारी भगवान शिव जी की कृपा हम सब पर बनी रहे.....
हे महादेव, देश का उद्धार करो. अब गहुत हो चुका.
जवाब देंहटाएंjai bhole kee
जवाब देंहटाएं