गद्य अगर कविता होगी तो,
कविता का क्या
नाम धरोगे?
सूर-कबीर और
तुलसी को,
किस श्रेणी में
आप धरोगे?
तुकबन्दी औ’ गेय पदों का,
कुछ कहते हैं
गया जमाना।
गीत-छन्द लिखने
का फैशन,
कुछ कहते हैं
हुआ पुराना।
जिसमें
लय-गति-यति होती है,
परिभाषा ये
बतलाती है।
याद शीघ्र जो हो जाती है,
वो ही कविता कहलाती है।
अपनी कमजोरी की खातिर,
कब तक तर्क-कुतर्क करोगे?
सूर-कबीर और
तुलसी को
किस श्रेणी में
आप धरोगे?
लिख करके
आलेख-लेख को,
अनुच्छेद में
बाँट रहे क्यों?
लगा टाट के
पैबन्दों को,
काव्य गलीचा गाँठ
रहे क्यों?
नहीं जानते
पद्य अगर तो,
गद्य लिखो,
स्वीकार हमें है।
गद्यकार का रूप
तुम्हारा,
दिल से अंगीकार
हमें है।
गीतों-ग़ज़लों
की नौका में,
कब तक तुम
सन्ताप भरोगे?
सूर-कबीर और
तुलसी को,
किस श्रेणी में
आप धरोगे?
लाओ नूतन शब्द
गद्य में,
पावन जल से भरो
सरोवर।
शुक्ल-हजारीलाल
सरीखे,
बन जाओ तुम
गद्य धरोहर।
गद्यकार कहलाने
में भी,
घट जाता सम्मान
नहीं है।
क्या
उपदेशों-सन्देशों में?
मिलता कोई
ज्ञान नहीं है।
कड़वी औषध रोग
मिटाती,
पीने में कब तलक डरोगे?
सूर-कबीर और तुलसी को,
किस श्रेणी में आप धरोगे?
|
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गुरुवार, 11 सितंबर 2014
"कब तक तुम सन्ताप भरोगे?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत बढ़िया ....
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (12.09.2014) को "छोटी छोटी बड़ी बातें" (चर्चा अंक-1734)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ! सटीक बात है ! अकविता को ही लोग कविता का नाम धर देते हैं !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
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