My Dad Wishes
Samphors Vuth
अनुवादक-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पिता की आकांक्षाएँ
(काव्यानुवाद)
मेरे साथ सदा अच्छा हो,
यही कामना करते हो।
नहीं लड़ूँ मैं कभी किसी से,
यही भावना भरते हो।।
उन्नति के सोपान चढ़ूँ मैं,
नीचे कभी न गिर जाऊँ।
आप यही इच्छा रखते हो,
विजय हमेशा मैं पाऊँ।।
पूज्य पिता जी आप पुत्र की,
देखभाल में लगे हुए।
मेरे लिए हमेशा तत्पर,
जीवनपथ पर डटे हुए।।
मेरा हँसना-गाना सुनकर,
तुम कितना सुख पाते हो।
लेकिन मेरा रुदन देख तुम,
दुखित तात हो जाते हो।।
जीवित रहूँ सदा मैं जग में,
दुआ हमेशा करते हो।
मेरे सुख का मुस्तैदी से,
ध्यान हमेशा धरते हो।।
तुम हो मेरे पूज्य पिता जी,
इस जीवन के दाता हो।
मेरा जीवन तुमसे ही है,
मेरे तुम्हीं विधाता हो।।
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गुरुवार, 18 सितंबर 2014
"काव्यानुवाद-पिता की आकांक्षाएँ...by Samphors Vuth" (अनुवादक-डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (19.09.2014) को "अपना -पराया" (चर्चा अंक-1741)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंkya baat hai guru jee...bahut badhiya
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना..आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अनुवाद ।
जवाब देंहटाएंसुंदर-भावमयी
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