-१-
भारत के विज्ञान
का, सफल हुआ अभियान
मंगल पर पहुँचा
दिया, अपना मंगलयान
अपना मंगलयान, चल
पड़ा नभ के पथ में
पार किये अवरोध, न
भटका कहीं कुपथ में
कह मयंक कविराय, बन
गयी नई इबारत
उन्नति के सोपान, चढ़ेगा आगे भारत
-२-
पूरी दुनिया के
लिए, मंगल था दुर्भेद
भारत खोलेगा सभी,
उस मंगल के भेद
उस मंगल के भेद, समझ
में अब आयेंगे
यदि होगा सम्भाव्य,
लोग भी बस जायेंगे
कह मयंक कविराय,
दूर होगी मजबूरी
पूरा है विश्वास, साधना
होगी पूरी
|
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बुधवार, 24 सितंबर 2014
"मंगल पर दो कुण्डलियाँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपूरा है विश्वास, साधना होगी पूरी
सिमट गई आज मंगल से दूरी
लक्ष भेद कर हम मगन हुए जाते है
संघर्षो से जूझ , हुई तपस्या पूरी
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार
वाह सुंदर कुण्डलियाँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कुण्डलियाँ ।
जवाब देंहटाएंmangal ho....
जवाब देंहटाएंनजाकत भरी सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत बहुत बधाई भारत की इस सफलता के लिए...
जवाब देंहटाएंकह मयंक कविराय, बन गयी नई इबारत
जवाब देंहटाएंउन्नति के सोपान, चढ़ेगा आगे भारत.... बहुत सुंदर पंक्तियाँ! आदरणीय शास्त्री जी!
धरती की गोद
सफल मंगल अभियान पर उत्तम प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं