दिल्ली उन्हीं के वास्ते, दिल जिनके पास है
खाली है अगर जेब
तो, दिल्ली उदास है
चारों तरफ मची हुई
है भाग-दौड़ सी
रिश्तो में अब
मिठास के बदले खटास है
चलता है टेढ़ी चाल
सियासत का पजामा
मैला है मन-बदन मगर
उजला लिबास है
पद मिल गया तो देश
की चिन्ता नहीं रही
कुर्सी की टाँग से
बँधा अब तो विलास है
सागर में रह के मीन
को मिनरल की चाह है
बुझती नहीं है आज मगर
की पिपास है
रोजी के लिए
नौनिहाल माँजता बरतन
हाथों में उसके आज
भी झूठा गिलास है
वो देख रहा “रूप”
को आजाद वतन के
नंगा है आज आदमी
भूखा विकास है
|
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रविवार, 21 सितंबर 2014
"ग़ज़ल-नंगा आदमी भूखा विकास" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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यथार्थ को उकेरती शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंरोजी के लिए नौनिहाल माँजता बरतन
जवाब देंहटाएंहाथों में उसके आज भी झूठा गिलास है ..
दिल्ली और देश काल की हकीकत से रूबरू कराता हुआ है हर शेर ....
बहुत उम्दा ग़ज़ल ... नमस्कार शास्त्री जी ...
आपकी लिखी रचना मंगलवार 23 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवो देख रहा “रूप” को आजाद वतन के
हटाएंनंगा है आज आदमी भूखा विकास है. waah bahut sundar gajal hardik badhai aapko chacha ji
बहुत ही कटुसत्य के साथ सही संदेश दिया है आप ने ! सत्य के वक्ता श्रोता दुर्लभ ही हैं !
जवाब देंहटाएंचलता है टेढ़ी चाल सियासत का पजामा
मैला है मन-बदन मगर उजला लिबास है
रोजी के लिए नौनिहाल माँजता बरतन
जवाब देंहटाएंहाथों में उसके आज भी झूठा गिलास है
बहुत सशक्त सामयिक यथार्थ। एक दिन ये भी प्रधानमन्त्री बनेगा।
रोजी के लिए नौनिहाल माँजता बरतन
जवाब देंहटाएंहाथों में उसके आज भी झूठा गिलास है
बहुत सशक्त सामयिक यथार्थ। एक दिन ये भी प्रधानमन्त्री बनेगा।
gilaas hee taqdeer bann gaya hai...
जवाब देंहटाएंsundar
दिल्ली उन्हीं के वास्ते, दिल जिनके पास है
जवाब देंहटाएंखाली है अगर जेब तो, दिल्ली उदास है
...दिल्ली पैसे वालों की
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर