गुम हो गया उजाला क्यों?
दर्पण काला-काला क्यों?
चन्दा गुम है, सूरज सोया
काट रहे, जो हमने बोया
तेल कान में डाला क्यों?
राज-पाट सिंहासन पाया
सुख भोगा-आनन्द मनाया
फिर करता घोटाला क्यों?
जब खाली भण्डार पड़े हैं
बारिश में क्यों अन्न सड़े हैं
गोदामों में ताला क्यों?
कहाँ गयीं सोने की लड़ियाँ
पूछ रही हैं भोली चिड़ियाँ
सूखी मंजुल माला क्यों?
जनता सारी बोल रही है
न्याय-व्यवस्था डोल रही है
दाग़दार मतवाला क्यों?
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बहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमुंसिफ गूंगा जज़ है बहरा छ्या बहुत कुहासा है
जीवन के पग पग देखा क्यों नहीं बची अब आशा है
वर्तमान पर बहुत ही सशक्त कविता। स्वयं शून्य
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जवाब देंहटाएंजब खाली भण्डार पड़े हैं
बारिश में क्यों अन्न सड़े हैं
गोदामों में ताला क्यों?.......andher nagri me yahi to hota hai
वर्तमान पर बहुत ही सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंजब खाली भण्डार पड़े हैं
जवाब देंहटाएंबारिश में क्यों अन्न सड़े हैं
गोदामों में ताला क्यों?
Satya Vachan !!
आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 1 . 10 . 2014 दिन बुद्धवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
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