बिगड़ गयी है
वर्तनी, बिगड़ गया विन्यास।
हिन्दी वाले कर
रहे, हिन्दी का उपहास।।
--
अंग्रेजी भी लचर है,
हिन्दी नहीं दुरुस्त।
हुई ज्ञान के
क्षेत्र में, पकड़ हमारी सुस्त।।
--
लोकतन्त्र में हो
रहा, इंग्लिश का परित्राण।
फिर कैसे होगा भला,
हिन्दी का कल्याण।।
--
भारत में सब हो रहे,
अंग्रेजी में काम।
शोकदिवस ही उचित
है, हिन्दीदिन का नाम।।
--
हिन्दी के सिर पर
नहीं, सजा अभी तक ताज।
इसीलिए हिन्दीदिवस,
मना रहे हम आज।।
|
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बुधवार, 17 सितंबर 2014
"दोहे-शोकदिवस ही उचित है हिन्दीदिन का नाम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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जवाब देंहटाएंसटीक ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमित्र हिन्दी की पीड़ा काश सबी हिन्दी-विद्वानों को कचोटे !
जवाब देंहटाएंसुंदर आ. धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंहिन्दी-भाषी जन भी अपनी भाषा का प्रयोग सम्मानपूर्वक नहीं करते
जवाब देंहटाएं' बिगड़ गयी है वर्तनी, बिगड़ गया विन्यास।
हिन्दी वाले कर रहे, हिन्दी का उपहास।।'
अक्सर ,पढ़े लिखे लोगों के घर में भी एक शब्दकोश तक नहीं होता जिसमें सही वर्तनी देख लें .और आगे के लिए सही प्रयोग की आदत बन जाय .
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएं