मेरी कार बहुत मतवाली।
कभी न धोखा देने वाली।।
हिन्दीदिन पर इसको लाये।
हम सब मन में थे हर्षाये।।
आज पाँचवा जन्मदिवस है।
लेकिन अब भी जस की तस है।।
इसको जल से नहलाता हूँ।
कपड़ा लेकर सहलाता हूँ।
इसका ध्यान हमेशा धरता।
आलस को मैं कभी न करता।।
कार हमारी हमको भाती।।
सदा सँवारो सबका जीवन।
चाहे जड़ हो या हो चेतन।।
तुम हो सबके मन को भायी।
जन्मदिवस पर तुम्हें बधायी।।
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रविवार, 14 सितंबर 2014
"आज मेरी कार का भी जन्मदिन है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हिंदी दिवस पर शुभकामनाऐं ।
जवाब देंहटाएंमित्र ! कार आप को फले फूले !!
जवाब देंहटाएंअच्छा होता की आप कार पालने के स्थान पर गाँय पालते और उसका जन्म दिन मनाते.....
जवाब देंहटाएंwaah .....
जवाब देंहटाएंसदा सँवारो सबका जीवन।
जवाब देंहटाएंचाहे जड़ हो या हो चेतन।।
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ, एक संवेदनशील मन ही वस्तुओं का भी सम्मान करना जानता है, मेरी भी बहुत बहुत शुभकामनायें आपकी इस कार के पांचवे जन्मदिन पर :) सुन्दर रचना !
वाह ! कार को बधाई
जवाब देंहटाएंhappy birthday to your car Sir jee....
जवाब देंहटाएंmeri nayee post pe aapka swaagat hai..
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2014/09/blog-post.html