--
जो ले जाये जो लक्ष्य तक, वो पथ होता शुद्ध।
भारत तुम्हें पुकारता, आओ गौतम बुद्ध।।
--
बोधि वृक्ष की छाँव में, मिला बुद्ध को ज्ञान।
अन्तर्मन से छँट गया, तम का सब अज्ञान।।
--
सुत-दारा को छोड़कर, वन में किया निवास।
राज-पाट सिद्धार्थ को, कभी न आया रास।।
--
जिसका अन्तःकरण हो, सभी तरह से शुद्ध।
जीता जो जग के लिए, वो कहलाता बुद्ध।।
--
बुद्धम् शरणम् आइए, पकड़ बुद्धि की डोर।
चलो धर्म की राह में, होकर भाव-विभोर।।
--
दिव्य ज्ञान की खोज में, मानव हो संलग्न।
बौद्ध धर्म कहता यही, रहो ध्यान में मग्न।।
--
सत्य-अहिंसा दूत थे, प्यारे गौतम बुद्ध।
दूर किया जिसने सभी, वातावरण अशुद्ध।।
--
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
गुरुवार, 7 मई 2020
दोहे " बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
बौद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सामयिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको भी बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (08-05-2020) को "जो ले जाये लक्ष्य तक, वो पथ होता शुद्ध"
(चर्चा अंक-3695) पर भी होगी। आप भी
सादर आमंत्रित है ।
"मीना भारद्वाज"
सामयिक प्रस्तुति हेतु आभार
जवाब देंहटाएंबुद्ध के विचारों को समेटती सुंदर रचना सर ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंआदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" जी, बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बुद्ध के संदेशों को रेखांकित करते सुन्दर दोहे। खासकर यह दोहा बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंदिव्य ज्ञान की खोज में, मानव हो संलग्न।
बौद्ध धर्म कहता यही, रहो ध्यान में मग्न।। सादर साधुवाद ! --ब्रजेन्द्र नाथ
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर दोहे आदरणीय सर
जवाब देंहटाएंआदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" जी को मेरा सादर प्रणाम । गौतम बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर इनके द्वारा दिए गए संदेशों की प्रस्तुति आपने बहुत ही सहज व सरल तरीके से की है । गौतम बुद्ध के विचारों को आपने अपने शबदों के माध्यम से बहुत ही अच्छा सृजन किया है । बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, सार्थक दोहे।