--
पत्रकारिता दिवस पर, होता है अवसाद।
गुणा-भाग तो खूब है, मगर नहीं गुणवाद।।
--
पत्रकारिता में लगे, जब से हैं मक्कार।
छँटे हुओं की नगर के, तब से है जयकार।।
--
समाचार के नाम पर, ब्लैकमेल है आज।
विज्ञापन का चल पड़ा, अब तो अधिक रिवाज।।
--
पीड़ा के संगीत में, दबे खुशी के बोल।
देश-वेश-परिवेश में, कौन रहा विष घोल।।
--
बैरी को तो मिल गये, घर बैठे जासूस।
सच्ची खबरों के लिए, देनी पड़ती घूस।।
--
ख़बरें अब साहित्य की, हुई पत्र से लुप्त।
सामाजिकता हो रही, इसीलिए तो सुप्त।।
--
मिर्च-मसाला झोंक कर, छाप रहे अखबार।
हत्या और बलात् की, ख़बरों की भरमार।।
--
पड़ी बेड़ियाँ पाँव में, हाथों में जंजीर।
सच्चाई की हो गयी, अब खोटी तकदीर।।
--
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |

जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (01जून 2020) को 'ख़बरों की भरमार' (चर्चा अंक 3719 ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
बिल्कुल सही तस्वीर
जवाब देंहटाएंयथार्थपूर्ण सृजन । पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं एवं बधाई सर ।
हटाएंबहुत ही सटीक दोहे
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक दोहे
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर, बहुत भाव पूर्ण दोहे, लयात्मक और सटीक दोहे।--ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंप्रणाम शास्त्री जी, आपने क्या खूब बखिया उधेड़ी है ''बस नाम भर के पत्रकारों'' की ...समाचार के नाम पर, ब्लैकमेल है आज।
जवाब देंहटाएंविज्ञापन का चल पड़ा, अब तो अधिक रिवाज।।...
वाह !बेहतरीन सर 👌
जवाब देंहटाएं