--
चौमासे में श्याम घटा, जब आसमान पर छाती है।
आजादी के उत्सव की, वो हमको याद दिलाती है।।
देख फुहारों को उगते हैं, अब तो अन्तस में
अक्षर,
इनसे ही कुछ शब्द बनाकर, तुकबन्दी हो जाती है।
--
खुली हवा में साँस ले रहे, हम जिनके बलिदानों से,
उन वीरों की गौरवगाथा, मन में जोश जगाती
है।
--
लाठी-गोली खाकर कारावास, जिन्होंने झेला था,
वो पुख़्ता बुनियाद, हमारी आजादी की थाती है।
--
खोल पुरानी पोथी-पत्री, भारत का इतिहास
पढ़ो,
यातनाओं के मंजर पढ़कर, छाती फटती जाती है।
--
आओ अमर शहीदों का, हम प्रतिदिन
वन्दन-नमन करें,
आजादी की वर्षगाँठ तो, एक साल में आती है।
--
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |

सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार(14-08-2020) को "ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो" (चर्चा अंक-3793) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
वीरों का वंदन उम्र भर भी करें तो कम है ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर ओजस्वी गीत ...
लाजवाब सर।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंवीरों को सत सत नमन ,स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सर ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएं