समीक्षा
"मनोहर सूक्तियाँ"
लॉकडाउन और अनलॉक की विभीषिका के दौर में
लगभग एक सप्ताह पूर्व मुझे हीरो वाधवानी जी की उनके द्वारा रचित सूक्तियों का एक और
संकलन "मनोहर सूक्तियाँ" प्राप्त हुआ। मेरी बुक शैल्फ में बहुत सारी
पुस्तकों की कतार लगी हुई है। उमर बढ़ती जा रही है और मैं आजकल भुलक्कड़ स्वभाव
का हो गया हूँ। इसलिए मन में विचार आया कि सूक्तियों के श्रेष्ठ संकलन "मनोहर
सूक्तियाँ" के बारे में दो शब्द लिखूँ। मैंने यह देखा है कि गद्य-पद्य में रचनाधर्मी
बहुत लम्बे समय से सृजन कर रहे हैं। लेकिन सूक्तियों की रचना विरले ही करते हैं।
जिनमें हीरो वाधवानी जी का नाम सबसे प्रमुख है।
अक्सर यह देखने में आया है कि गेरुए कपड़े
धारण किये हुए बड़े-बड़े आलीशान आश्रमों में बैठे व्यक्तियों को लोग
सन्त-महात्मा समझने का रोग पाले हुए हैं, जिनमें बहुत से तो कामी-क्रोधी और
कुसन्त से कम नहीं हैं। किन्तु गृहस्थ में रहते हुए जो व्यक्ति जीवन पर आधारित सटीक
और सन्तुलित सूक्तियों की रचना कर रहा है। मेरी दृष्टि में वो किसी सन्त-महात्मा
से कम नहीं है। हीरो वाधवानी जी अपने गृहस्थ जीवन का निर्वहन करते हुए
सूक्तियों का सतत सृजन आज भी संलग्न हैं। मैं उनकी भूरि-भूरि सराहना करता हूँ।
पक्की जिल्दसाजी और आकर्षक आवरण के साथ 250
पृष्ठों के “मनोहर
सूक्तियाँ” संकलन
को के.बी. एस प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया है। जिसका मूल्य 450/- रुपये मात्र है।
हीरो वाधवानी जी की लेखनी का जीवन्त
प्रमाण उनकी हाल में प्रकाशित कृति “मनोहर सूक्तियाँ” है। जो अपने नाम के अनुरूप जीवन सूत्रों का एक अनमोल संग्रह है।
पाठकों को इस संकलन को पूरा पढ़कर ही इसकी
गुरुता और गरिमा का आभास होगा, साथ ही आनन्द भी प्राप्त होगा किन्तु
उदाहरणस्वरूप यहाँ मैं हीरो वाधवानी जी की कुछ सूक्तियों को उद्धृत करना
अपना धर्म समझता हूँ-
-0-
"अधूरा
कार्य एक पाँव वाला जूता है।"
-0-
"माँ है
जो अँधेरे में से रोशनी की किरण निकाल लेती है।"
-0-
"समझदार
सत्य बोलकर समय बचाता है,
जबकि नासमझ झूठ
बोलकर समय गँवाता है।"
-0-
"एक
मुस्कराहट में बीस शृंगार सम्मिलित होते हैं।"
-0-
"अपमान न
सूखने वाला घाव है।"
-0-
"आलस्य
सफलता और समय का दुश्मन है।"
-0-
"मृत्यु
के पाँव में पायल नहीं होती है।"
-0-
"मुस्कराहट
मुफ्त में मिलने वाली पारसमणि है।"
-0-
"रिश्तेदारों
को गुप्त बात बताना,
अपने घर में आग
लगाना है।"
-0-
"हुनर
सोने का सिक्का है।"
-0-
"पसीनेवाला
परिश्रम दस बीमारियों को कम करता है।"
-0-
इस संकलन के
विषय में
कतिपय विद्वानों ने प्रकाश डालते हुए लिखा है-
“मनोहर सूक्तियाँ” के
विषय में जाने-माने कवि, साहित्यकार और ब्लॉगर दिलबाग सिंह विर्क लिखते हैं "अगर
विदुर नीति और चाणक्य नीति को पढ़ा जा सकता है हीरो वाधवानी को क्यों नहीं,
मनीला में रहते हुए हिन्दी में लिखना अपने आप में सराहनीय है और अगर इन तमाम
सूक्तियों में से कुछ को ही जीवन में अपनाया जाये तो जीवन सुधर सकता है। इस
दृष्टिकोण से लेखक का प्रयास सराहनीय है।"
इसके
अतिरिक्त मीनाक्षी सिंह, संजय तन्हा, सुरेश कान्त, उमा प्रसाद लोधी, हरि शर्मा,
प्रताप सिंह नेगी कवि, डॉ. शिव कुशवाह शाश्वत, आरती शर्मा, राजमनी राज, नवीन
गौतम, भावना सिन्हा, कल्पना रामानी, कंचन पाठक, बालकवि वैरागी, गुलकुतार
लालवानी, प्रियंका प्रियदर्शिनी, विजय कुमार राय, ए.एस.खान अली, डॉ. पुष्पलता,
मुकेश शर्मा, एस.आर.उपाध्याय, कवि दादू प्रजापति, प्रो. सक्ष्मण हर्दवानी, शशिकान्त
पाठक, वन्दना वाणी, विवेक कवीश्वर आदि साहित्यकारों ने भी “मनोहर सूक्तियाँ” के
विषय में अपने-अपने शब्दों में भूरि-भूरि प्रसंशा की है।
मेरी
दृष्टि में “मनोहर
सूक्तियाँ” एक
ऐसा ग्रन्थ है जो किसी गीता ज्ञान या रामायण से कम नहीं है। बल्कि मेरा सुझाव तो
यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को इन सूक्तियो को पढ़ना चाहिए और सूक्तियों के
अनुसार अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए।
आशा करता हूँ कि हीरो वाधवानी जी की
अनमोल सूक्तियों से सुसज्जित कृति “मनोहर सूक्तियाँ” को पढ़कर सभी वर्गों के पाठक लाभान्वित होंगे तथा समीक्षकों की
दृष्टि से भी हीरो वाधवानी जी का यह संकलन उपादेय सिद्ध होगा।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
कवि एवं
साहित्यकार
टनकपुर-रोड, खटीमा
जिला-ऊधमसिंहनगर
(उत्तराखण्ड) 262 308
E-Mail .
roopchandrashastri@gmail.com
Website.
http://uchcharan.blogspot.com/
मोबाइल-7906360576, 7906295141
|
बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी समीक्षा की है आपने ... बहुत बहुत बधाई एवम शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएं