गणतन्त्रदिवस की शुभवेला में, आओ तिरंगा फहरायें। देशभक्ति के गीत प्रेम से, गांधी बाबा ने सिखलाई, हमें पहननी खादी है, बलिदानों के बदले में, पाई हमने आजादी है, मोह छोड़कर परदेशों का, उन्नत अपना देश बनायें। देशभक्ति के गीत प्रेम से, आओ मिल-जुलकर गायें।। नया साल-छब्बीस जनवरी, खुशियाँ लेकर आता है, बासन्ती परिधान पहन कर, टेसू फूल खिलाता है, सरसों के बिरुए खेतों में, झूम-झूमकर लहरायें। देशभक्ति के गीत प्रेम से, आओ मिल-जुलकर गायें।। पेड़ों की शाखाएँ सारी, नयी-नयी कोपल पायेंगी, अपने आँगन के अम्बुआ की, डाली-डाली बौरायेंगी, मुस्कानों से सुमन सलोने, धरा-गगन को महकायें। देशभक्ति के गीत प्रेम से, आओ मिल-जुलकर गायें।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
मंगलवार, 26 जनवरी 2021
गणतन्त्र दिवस "आओ तिरंगा फहरायें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
-
सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
देशभक्ति से सुसज्जित भाव भरा सुन्दर गीत बचपन की याद दिला गया..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी मेरे "गागर में सागर" ब्लॉग लिंक पर अपनी स्नेहपूर्ण दृष्टि समय मिलने पर जरूर डालिए..सादर जिज्ञासा सिंह..
बहुत बढ़िया सर।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
आदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंमोह छोड़कर परदेशों का,
उन्नत अपना देश बनायें।
देशभक्ति के गीत प्रेम से,
आओ मिल-जुलकर गायें।।
देशभक्ति का संदेश देता यह गीत हृदय को छू गया।
एक-एक शब्द देशप्रेम की भावना जगाने वाला है।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
जय हिंद, बन्दे मातरम
जवाब देंहटाएंदेशप्रेम से ओतप्रोत ओजमय सुंदर गीत हृदय विहल कर गया।
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं।
सादर।
सुन्दर संदेश देता बहुत सुन्दर गीत, बधाई
जवाब देंहटाएंबड़ा सुरीला गीत है. प्रीत देश की रीत है.
जवाब देंहटाएंजय हिंद.