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बुधवार, 24 मार्च 2021
रंगभरी एकादशी "होली का आगाज" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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गुझिया-मठरी से हुआ, होली का आगाज।।
जवाब देंहटाएंहोली के त्यौहार में, डूबा देश-समाज।।
बहुत सुन्दर सृजन सर।
भेद-भाव को भूल कर, खेलो मिलकर फाग।
जवाब देंहटाएंकभी न बुझने दीजिये, प्रेम-प्रीत की आग।।
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रूठे-बिछड़े मीत की, कर लेना मनुहार।
बिना वजह मत कीजिए, आपस में तकरार।।
आदरणीय,
रंगभरी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
बहुत ही प्रेरक दोहे....
यह पर्व यहां बुंदेलखंड में नहीं मनाया जाता। यहां फागुन पूर्णिमा को होलिका दहन से चैत्र कृष्ण पंचमी. जिसे रंगपंचमी भी कहते हैं, तक 6 दिवसीय होली पर्व मनाया जाता है।
और आदरणीय, आपका उत्तराखंड तो देवभूमि है। परमपुनीत गंगा, केदारनाथ... वैली ऑफ फ्लावर और हेमकुंड साहीब...कुदरत के अद्भुत नजारोंं के साथ-साथ आत्मिक और मानसिक शांति एक बहुत बड़ा स्रोत है उत्तराखंड ।
उस देवभूमि को प्रणाम 🙏
आपको प्रणाम 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-03-2021 को चर्चा – 4,016 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
आपके ब्लॉग पर जाते ही एक ऐसे त्योहार का आमरण करा देते हैं आप,जिसे हम भूले हुए होते है आपका हृदय से आभार आदरणीय शास्त्री जी ।
जवाब देंहटाएंसभी को आने वाले पर्व की ढेरों शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे त्योहारों की मनभावन छटा बिखेरते।
जवाब देंहटाएंप्रणाम शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंरूठे-बिछड़े मीत की, कर लेना मनुहार।
बिना वजह मत कीजिए, आपस में तकरार।। के साथ एक बार फिर आपके कविभाव और आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें..
बहुत ही सुंदर सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर