-- श्राद्ध गये तो आ गये, माता के नवरात्र। लीला का मंचन करें, रामायण के पात्र।। -- सबको देते प्रेरणा, माता के नवरूप। निष्ठा से पूजन करो, लेकर दीपक-धूप।। -- सच्चे मन से कीजिए, माता का गुण-गान। माता तो सन्तान का, रखती पल-पल ध्यान।। -- अभ्यागत को देखकर, होना नहीं उदास। करो प्रेम से आरती, रक्खो व्रत-उपवास।। -- शुद्ध बनाने के लिए, आते हैं नवरात्र। ज्ञानी बनने के लिए, पढ़ो नियम से शास्त्र।। -- सारे सपनों को करें, माता जी साकार। कर्मों से ही तो बने, जीवन का आधार।। -- ज्ञानदायिनी शारदे, भर दो खाली ताल। वीणा की झंकार से, कर दो मुझे निहाल।। -- |
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे..
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०७-१०-२०२१) को
'प्रेम ऐसा ही होता है'(चर्चा अंक-४२१०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
गहन रचना।
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहे आदरणीय ,जय माता दी ।
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