शशि की किरणों में भरी, सबसे अधिक उजास। शरदपूर्णिमा धरा पर, लाती है उल्लास।१। -- लक्ष्मीमाता धरा पर , आने को तैयार। शरदपूर्णिमा पर्व पर, लेती हैं अवतार।२। -- त्यौहारों का आगमन, करे कार्तिक मास। सरदी का होने लगा, अब कुछ-कुछ आभास।३। -- दीपमालिका आ रही, लेकर अब उपहार। देता शुभसन्देश है, पावस का त्यौहार।४। -- दमक उठे हैं रात में, कोठी-महल-कुटीर। नदियों में बहने लगा, निर्मल पावन नीर।५। -- अमृत वर्षा कर रही, शरदपूर्णिमा रात। आज अनोखी दे रहा, शरदचन्द्र सौगात।६। -- खिला हुआ है गगन में, उज्जवल-धवल मयंक। नवल-युगल मिलते गले, होकर आज निशंक।७। -- निर्मल हो बहने लगा, सरिताओं में नीर। मन्द-मन्द चलने लगा, शीतल-सुखद समीर।८। -- शरदपूर्णिमा दे रही, सबको यह सन्देश। तन-मन, आँगन-गेह का, करो स्वच्छ परिवेश।९। -- फसल धान की आ गयी, खुशियाँ लेकर साथ। भरा रहेगा धान्य से, मजदूरों का हाथ।१०। -- |
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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021
दोहे "शरदपूर्णिमा पर्व" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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वाह!आदरणीय ,बहुत सुंदर । भरा रहे धान्य से मजदूरों का हाथ यही कामना है ।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुंदर भाव भरा सृजन।
जवाब देंहटाएंआपको सह परिवार शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
शरद पूर्णिमा की सार्थकता बताते बहुत सुंदर दोहे । बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐
जवाब देंहटाएंउल्लास का आभास कराते उत्तम भावपूर्ण दोहे
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