दे रहा है अमन का पैगाम भारत! अब नहीं होगा हमारा देश आरत!!
सीख लो यह सीख वेद-कुरान से, वाहेगुरू का भी यही उपदेश है, बाईबिल में प्यार का सन्देश है, दे रहा है अमन का पैगाम भारत! अब नहीं होगा हमारा देश आरत!! चार दिन की जिन्दगी, बाकी अंधेरी रात है, किसलिए फिर दुश्मनी की बात है, शूल की गोदी में पलते फूल हैं, बैर के अंकुर उगाना पेट में निर्मूल हैं, दे रहा है अमन का पैगाम भारत! अब नहीं होगा हमारा देश आरत!! खुद जिएँ, औरों को जीना हम सिखाएँ, इस धरा को स्वर्ग जैसा हम सजाएँ, जिन्दगी और मौत का मालिक खुदा , कर रहा क्यों खुद को अपनों से जुदा, दे रहा है अमन का पैगाम भारत! अब नहीं होगा हमारा देश आरत!! |
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रविवार, 19 दिसंबर 2021
गीत "बैर के अंकुर उगाना पेट में निर्मूल हैं"
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कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (20-12-2021 ) को 'चार दिन की जिन्दगी, बाकी अंधेरी रात है' (चर्चा अंक 4284) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
गहन रचना...।
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन सर
जवाब देंहटाएंप्रणाम।