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बुधवार, 22 दिसंबर 2021
गीत "दबा सुरीला कोकिल का सुर, अब कागा की काँव में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (23-12-2021 ) को 'नहीं रहा अब समय सलोना' (चर्चा अंक 4287) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बेहतरीन गीत आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसच अब तो गांव में कांक्रीट बनते जा रहे हैं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सामयिक रचना