अटल बिहारी आपका, करते सब गुणगान। माता के इस लाल पर, भारत को अभिमान।। -- आज दिखावे के लिए, लगी सदन में भीड़। अटल बिहारी के बिना, सूना संसद नीड़।। -- कथनी-करनी में अटल, सदा रहे अनुरक्त। शब्दों से वाचाल थे, मन से रहे सशक्त।। -- अटल बिहारी हों भले, अन्तरिक्ष में लीन। पुनर्जन्म लेंगे यहाँ, सबको यही यकीन।। -- देशभक्ति-दलभक्ति के, संगम थे अभिराम। अमर रहेगा जगत में, अटल आपका नाम।। -- आने-जाने के नहीं, नियत दिवस-तारीख। देता काल-कराल है, दुनिया भर को सीख।। -- लुप्त हो गया सदन में, स्वस्थ हास-परिहास। संसद में अब काव्य का, मेला हुआ उदास।। -- देशवासियों के लिए, क्रिसमस का उपहार। अटल बिहारी के बिना, सूना लगता द्वार।। -- |
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शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021
दोहे "अटल बिहारी के बिना, सूना संसद नीड़" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुंदर।♥️
जवाब देंहटाएंनमन 🌻🙏
बेहतरीन रचना 🙏
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने अटल बिहारी जी के बिना संसद सूना है। समय समय की बात होती है, अब वैसा समय न रहा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी याद
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२५-१२ -२०२१) को
'रिश्तों के बन्धन'(चर्चा अंक -४२८९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
लुप्त हो गया सदन में, स्वस्थ हास-परिहास।
जवाब देंहटाएंसंसद में अब काव्य का, मेला हुआ उदास।।
अटल बिहारी जी की स्मृति में लाजवाब दोहे।
अटल जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहे ।
अटल बिहारी वाजपेयी जी बखान करते बहुत ही उम्दा दोहे!
जवाब देंहटाएंअटल जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏
बेहतरीन रचना,अटल जी को विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंबेहतरीन दोहे,अटल जी को शत् शत् नमन 🙏
जवाब देंहटाएं