-- बस इतना उपहार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। जीवन जीने की है आशा, चलता रहता खेल-तमाशा, सुर की मृदु झनकार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। वाद-विवाद भले फैले हों, अन्तस कभी नहीं मैले हों, आपस में मनुहार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। सबकी सुनना, अपनी कहना, बच्चों की बातों को सहना, हरा-भरा परिवार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। पहले जैसा 'रूप' नहीं अब, पहले जैसी धूप नहीं अब, हमको थोड़ा प्यार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। साथी साथ निभाते रहना, उपवन को महकाते रहना, हँसी-खुशी संसार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। |
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शनिवार, 4 दिसंबर 2021
गीत "48वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-5 दिसम्बर, 2021" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आदरणीय शास्त्रीजी, बहुत बहुत शुभकामनाएँ, बधाई व सादर प्रणाम आप दोनों को।
जवाब देंहटाएंपहले जैसा 'रूप' नहीं अब,
जवाब देंहटाएंपहले जैसी धूप नहीं अब,
हमको थोड़ा प्यार चाहिए।
ममता का आधार चाहिए।।
... बहुत सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन ।
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
(5-12-21) को "48वीं वैवाहिक वर्षगाँठ"
( चर्चा अंक4269)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
शुभकामनाएं आदरणीय शास्त्री जी को विवाह वर्षगांठ पर |
जवाब देंहटाएंआ0 सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंआपके वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
प्रणाम शास्त्री जी, आपको 48वीं वैवाहिक वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई। आज के दिन आपने क्या खूब ही लिखा है कि---वाद-विवाद भले फैले हों,
जवाब देंहटाएंअन्तस कभी नहीं मैले हों,
आपस में मनुहार चाहिए।
ममता का आधार चाहिए।। पुन: बधाई