![]() दुर्गम पथरीला पथ है, आगे बढ़ना आसान नहीं। ऊँची पर्वत-मालाओं पर, चढ़ना है आसान नहीं।। पहले पढ़ना-लिखना, फिर जीविका कमाना पड़ता है, कदम-कदम पर यहाँ, बहुत से कष्ट उठाना पड़ता है। दुनियादारी एक हक़ीक़त, ये गुड़ियों का खेल नहीं- घास-फूस-तिनके चुन कर, घर-बार बनाना पड़ता है। जीवन तो है एक साधना, तप करना आसान नहीं। ऊँची पर्वत-मालाओं पर, चढ़ना है आसान नहीं।। हाड़ कँपाती सर्दी, लू के थप्पड़ खाना पड़ता है, आँधी-पानी में खेतों में, पौध लगाना पड़ता है। स्वयं परिश्रम करना पड़ता, नहीं हाट में ये मिलता, मक्कारों, बे-ईमानों को, सबक सिखाना पड़ता है। सत्य-अहिंसा की राहों पर, चलना है आसान नहीं। ऊँची पर्वत-मालाओं पर, चढ़ना है आसान नहीं।। |
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सोमवार, 4 जून 2012
"आगे बढ़ना आसान नहीं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सत्य-अहिंसा की राहों पर, चलना है आसान नहीं।
जवाब देंहटाएंऊँची पर्वत-मालाओं पर, चढ़ना है आसान नहीं।।
अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...आभार ।
वाह...
जवाब देंहटाएंदुनियादारी एक हक़ीक़त, ये गुड़ियों का खेल नहीं-
घास-फूस-तिनके चुन कर, घर-बार बनाना पड़ता है।
बहुत सुंदर शास्त्री जी.
सादर
वाह...
जवाब देंहटाएंदुनियादारी एक हक़ीक़त, ये गुड़ियों का खेल नहीं-
घास-फूस-तिनके चुन कर, घर-बार बनाना पड़ता है।
बहुत सुंदर शास्त्री जी.
सादर
जीवन एक संघर्ष है …………हकीकत बयान करती सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजीवन एक संघर्ष है कोई खेल नही ..सच कहा...सुन्दर.सटीक रचना..
जवाब देंहटाएंयही तो जीवन की सच्चाई है!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएंसादर
कहते हैं संघर्ष ही जीवन है - पर एक एक कर आती है तो कोई बात नही -- इससे जीता जा सकता है
जवाब देंहटाएंपर जरा सोंचिये एक साथ इतनी सारी मुसीबत का सामना कराएँगे तो जीवन अवश्य ही संघर्ष भरा लगने लगेगा |
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शानदार परस्तुति है - धन्यवाद |
पथ संघर्ष बना जाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंजीवन संघर्ष फिर भी कायम है
जवाब देंहटाएंजीवन का सत्य
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंमुश्किलें हर कदम पे हैं
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच