दुर्गम पथरीला पथ है, आगे बढ़ना आसान नहीं। ऊँची पर्वत-मालाओं पर, चढ़ना है आसान नहीं।। पहले पढ़ना-लिखना, फिर जीविका कमाना पड़ता है, कदम-कदम पर यहाँ, बहुत से कष्ट उठाना पड़ता है। दुनियादारी एक हक़ीक़त, ये गुड़ियों का खेल नहीं- घास-फूस-तिनके चुन कर, घर-बार बनाना पड़ता है। जीवन तो है एक साधना, तप करना आसान नहीं। ऊँची पर्वत-मालाओं पर, चढ़ना है आसान नहीं।। हाड़ कँपाती सर्दी, लू के थप्पड़ खाना पड़ता है, आँधी-पानी में खेतों में, पौध लगाना पड़ता है। स्वयं परिश्रम करना पड़ता, नहीं हाट में ये मिलता, मक्कारों, बे-ईमानों को, सबक सिखाना पड़ता है। सत्य-अहिंसा की राहों पर, चलना है आसान नहीं। ऊँची पर्वत-मालाओं पर, चढ़ना है आसान नहीं।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
सोमवार, 4 जून 2012
"आगे बढ़ना आसान नहीं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
सत्य-अहिंसा की राहों पर, चलना है आसान नहीं।
जवाब देंहटाएंऊँची पर्वत-मालाओं पर, चढ़ना है आसान नहीं।।
अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...आभार ।
वाह...
जवाब देंहटाएंदुनियादारी एक हक़ीक़त, ये गुड़ियों का खेल नहीं-
घास-फूस-तिनके चुन कर, घर-बार बनाना पड़ता है।
बहुत सुंदर शास्त्री जी.
सादर
वाह...
जवाब देंहटाएंदुनियादारी एक हक़ीक़त, ये गुड़ियों का खेल नहीं-
घास-फूस-तिनके चुन कर, घर-बार बनाना पड़ता है।
बहुत सुंदर शास्त्री जी.
सादर
जीवन एक संघर्ष है …………हकीकत बयान करती सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजीवन एक संघर्ष है कोई खेल नही ..सच कहा...सुन्दर.सटीक रचना..
जवाब देंहटाएंयही तो जीवन की सच्चाई है!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएंसादर
कहते हैं संघर्ष ही जीवन है - पर एक एक कर आती है तो कोई बात नही -- इससे जीता जा सकता है
जवाब देंहटाएंपर जरा सोंचिये एक साथ इतनी सारी मुसीबत का सामना कराएँगे तो जीवन अवश्य ही संघर्ष भरा लगने लगेगा |
-----------------------------------------------------------------------------
शानदार परस्तुति है - धन्यवाद |
पथ संघर्ष बना जाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंजीवन संघर्ष फिर भी कायम है
जवाब देंहटाएंजीवन का सत्य
जवाब देंहटाएंमुश्किलें हर कदम पे हैं
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच