बादल आये जोर-शोर से। बारिश बरसी खूब जोर से।। आँधी आयी, बिजली चमकी। पहली बारिश है मौसम की।। भीग गया धरती का आँचल। झूम रहे खुश होकर जंगल।। मानसून का मौसम आया। लू-गर्मी का हुआ सफाया।। वर्षा का जल सबको भाया। पेड़ों ने नवजीवन पाया।। श्रम करने खेतों में जाएँ। आओ धान की पौध लगाएँ।। |
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शनिवार, 23 जून 2012
"आओ धान की पौध लगाएँ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुंदर कविता....
जवाब देंहटाएंबारिश के आने से मौसम
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हो जाता है...
बहुत सुन्दर रचना...
:-)
बारिश की फुहार सी सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंश्रम करने खेतों में जाएँ।
जवाब देंहटाएंआओ धान की पौध लगाएँ।।
बहुत सुंदर रचना ,,,,,,
हमें तो अभी इस तरह के पानी की प्रतीक्षा ही है
जवाब देंहटाएंवाह! सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंसादर.
बरसा पानी, चलो धान की पौध लगायें..
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही भावमय करती प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता है शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रविष्टि...गज़ब
जवाब देंहटाएंश्रम करने खेतों में जाएँ।
जवाब देंहटाएंआओ धान की पौध लगाएँ।।
ऋतु अनुरूप लेखन .
बहुत सुन्दर मौसमी गीत
जवाब देंहटाएंmanbhawan geet
जवाब देंहटाएंबढ़िया कविता...पौध लगाने की बारिश !!
जवाब देंहटाएंधान के लगाने के मौसम आ गया ....स्वागत हैं इसका
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