ज़िन्दग़ी प्यार का नाम है। प्यार कुदरत का ईनाम है।। जब तलक चाँद-तारे रहेंगे, नित नये ही फसाने कहेंगे। कुछ को मिलता खुदा, कोई होता ज़ुदा। कोई नाहक ही बदनाम है। प्यार कुदरत का ईनाम है।। खुशनसीबी उसे ही मिली, जिसके दिल की कली हो खिली। सुर मिलाते रहो, गुनगुनाते रहो। प्यार गीतों भरी शाम है। प्यार कुदरत का ईनाम है।। आओ दरिया किनारे चलें, खाक अपने बदन पर मलें। हुस्न इक आग है, इश्क तो फाग है। खेल के बाद आराम है। प्यार कुदरत का ईनाम है।। प्रीत की कुछ अलग रीत है, हार में भी छिपी जीत है। छाँव है धूप है, रंग है "रूप" है। काम का नाम अभिराम है। प्यार कुदरत का ईनाम है।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 8 जून 2012
"प्यार कुदरत का ईनाम है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
प्रीत की कुछ अलग रीत है,
जवाब देंहटाएंहार में भी छिपी जीत है।,,,,
बहुत सुंदर प्यार भरी रचना,,,,,
कुछ को मिलता खुदा,कोई होता ज़ुदा।कोई नाहक ही बदनाम है।प्यार कुदरत का ईनाम है।।
जवाब देंहटाएं...वाह, वाह!...बहुत खूब!
sundar geet ..
जवाब देंहटाएंबिना प्यार सब सूना है...सुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएंआओ दरिया किनारे चलें,
जवाब देंहटाएंखाक अपने बदन पर मलें।
हुस्न इक आग है,
इश्क तो फाग है।
खेल के बाद आराम है।
प्यार कुदरत का ईनाम है।।
प्यार कुदरत का इनाम है .बढ़िया प्रेम गीत ..
कृपया यहाँ भी पधारें -
फिरंगी संस्कृति का रोग है यह
प्रजनन अंगों को लगने वाला एक संक्रामक यौन रोग होता है सूजाक .इस यौन रोग गान' रिया(Gonorrhoea) से संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क स्थापित करने वाले व्यक्ति को भी यह रोग लग जाता है .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
ram ram bhai
शुक्रवार, 8 जून 2012
जादू समुद्री खरपतवार क़ा
बृहस्पतिवार, 7 जून 2012
कल का ग्रीन फ्यूल होगी समुद्री शैवाल
http://veerubhai1947.blogspot.in/
प्रीत की कुछ अलग रीत है,
जवाब देंहटाएंहार में भी छिपी जीत है।
....बहुत सुन्दर कविता...आभार
प्यार से इस गीत को गुनगुनाते रहे ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंप्यार कुदरत का ईनाम है।।
जवाब देंहटाएंदिलवालों की हंसी शाम है .
रात रूठी रही ,फिर भी मदहोश इंसान है .
"कुछ को मिलता खुदा,
जवाब देंहटाएंकोई होता ज़ुदा।
कोई नाहक ही बदनाम है।
प्यार कुदरत का ईनाम है।।"
यही है ज़िंदगी कहीं धूप तो कहीं छाँव ! यथार्थ का दर्पण और सुंदर अभिव्यक्ति !
सुर मिलाते रहो,
जवाब देंहटाएंगुनगुनाते रहो।
प्यार गीतों भरी शाम है।
प्यार कुदरत का ईनाम है।।
सच्ची बात और सुंदर कविता ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबहूत,बहूत सुंदर
जवाब देंहटाएंप्यारभरी रचना..