रिमझिम-रिमझिम पड़ीं फुहारे। बारिश आई अपने द्वारे।। तन-मन में थी भरी हताशा, धरती का था आँचल प्यासा, झुलस रहे थे पौधे प्यारे। बारिश आई अपने द्वारे।। आँधी आई, बिजली कड़की, जोर-जोर से छाती धड़की, अँधियारे ने पाँव पसारे। बारिश आई अपने द्वारे।। जल की मोटी बून्दें आयी, शीतलता ने अलख जगाई, खुशी मनाते बालक सारे। बारिश आई अपने द्वारे।। अब मौसम हो गया सुहाना, आम रसीले जमकर खाना, पर्वत से बह निकले धारे। बारिश आई अपने द्वारे।। |
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बुधवार, 6 जून 2012
"जल की मोटी बून्दें आयी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह बारिश का बहुत ही सुंदर चित्रण करता सु मधुर गीत....
जवाब देंहटाएंबारिश का सुन्दर चित्रण करती रचना ,,,,,
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
waah ..sundar rachna ...!!
जवाब देंहटाएंबारिश आई?? बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत सर...
सादर.
ऐसी गर्मी में बारिश मन मोह लेती है।
जवाब देंहटाएंबारिश मुबारक हो सर!
जवाब देंहटाएंसंभव हो तो कुछ फुहारें लखनऊ भी भेज दीजिये :)
वैसे आपकी रचना पढ़कर बारिश का मानसिक आनंद तो ले ही लिया।
सादर
अभी तो बारिश के कोई आसार नजर नहीं आते पर आपकी रचना ने बारिश की बूदों से मन भिगो दिया |उत्तम रचना |सादर
जवाब देंहटाएंआशा
इस मौसम का बड़ा सुहाना चित्रण, मेघ भी, आम भी और बरखा की मोटी मोटी बूँदें भी. सुन्दर रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंबारिश और आम जिस कविता में हो वह रस से सराबोर हो जाती है।
जवाब देंहटाएंपढ़ कर ही गर्मी दूर हो गई
जवाब देंहटाएंदेखिये बारिश के बारे में पढ़ कर बहुत अच्छा लगा लेकिन हम तो अभी गर्मी में ही भुन रहे हें, पता नहीं कब ये कविता हमारे यहाँ भी साकार होगी.
जवाब देंहटाएंअब मौसम हो गया सुहाना,
जवाब देंहटाएंआम रसीले जमकर खाना,
पर्वत से बह निकले धारे।
बारिश आई अपने द्वारे।।
इससे पूर्व की दोनों पोस्ट एक अनुवाद आधारित
जवाब देंहटाएंEmily Dickinson"
तथा एक
सूरज की भीषण गर्मी से,
लोगो को राहत पहँचाता।।
लू के गरम थपेड़े खाकर,
अमलतास खिलता-मुस्काता।।अपना अलग सौन्दर्य लिए हैं
mausam suhaana ho raha hai yahan pe bhee......!!!
जवाब देंहटाएंपहली बारिश का सुंदर चित्रण.
जवाब देंहटाएं