पिकनिक करने का मन आया! मोटर में सबको बैठाया!! ![]() पहुँच गये जब नदी किनारे! खरबूजे के खेत निहारे!! ![]() ककड़ी, खीरा और तरबूजे! कच्चे-पक्के थे खरबूजे!! ![]() प्राची, किट्टू और प्रांजल! करते थे जंगल में मंगल!! ![]() लो मैं पेटी में भर लाया! खरबूजों का मौसम आया!! ![]() देख पेड़ की शीतल छाया! हमने आसन वहाँ बिछाया!! ![]() जम करके खरबूजे खाये! शाम हुई घर वापिस आये!! |
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वाह ...बढिया रही ये पिकनिक संग खरबूजों के
जवाब देंहटाएंवाह,,,, बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
खाता देख आप सब को
जवाब देंहटाएंहमारे मुहँ में भी पानी आए |
हा हा हा....शुभकामनाएँ!
काश हमें भी नसीब होते ये ताज़े फल.............
जवाब देंहटाएंसादर
वाह तो गोया गर्मी के भी फ़ुल फ़ुल मज़े । बहुत सुंदर जी बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
जवाब देंहटाएंphotoshop ka bahut hee badhiyaa istemaal karte hain aap guru jee
जवाब देंहटाएंखरबूजे को देखकर, बदले रविकर रंग ।
जवाब देंहटाएंपर पानी-पानी हुआ, बिन पानी है दंग।
बिन पानी है दंग, ढूंढता शीतल छाया ।
उत्तरांचल कोयल, इत कोयला गर्माया ।
करिए खुब आनंद, सदा किलकारी गूंजे ।
भेजो झोंके चंद, रंग बदले खरबूजे ।।
वाह... सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसादर.
फिर से चर्चा मंच पर, रविकर का उत्साह |
जवाब देंहटाएंसाजे सुन्दर लिंक सब, बैठ ताकता राह ||
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शुक्रवारीय चर्चा मंच ।
बड़ी मीठी पोस्टें आ रही हैं, कल लीची और आज खरबूजा।
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