![]() कभी कुहरा, कभी सूरज, कभी आकाश में बादल घने हैं। दुःख और सुख भोगने को, जीव के तन-मन बने हैं।। आसमां पर चल रहे हैं, पाँव के नीचे धरा है, कल्पना में पल रहे हैं, सामने भोजन धरा है, पा लिया सब कुछ मगर, फिर भी बने हम अनमने हैं। दुःख और सुख भोगने को, जीव के तन-मन बने हैं।। आयेंगे तो जायेंगे भी, जो कमाया खायेंगें भी, हाट मे सब कुछ सजा है, लायेंगे तो पायेंगे भी, धार निर्मल सामने है, किन्तु हम मल में सने हैं। दुःख और सुख भोगने को, जीव के तन-मन बने हैं।। देख कर करतूत अपनी, चाँद-सूरज हँस रहे हैं, आदमी को बस्तियों में, लोभ-लालच डस रहे हैं, काल की गोदी में, बैठे ही हुए सारे चने हैं। दुःख और सुख भोगने को, जीव के तन-मन बने हैं।। |
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बहुत सुन्दर भाव.
जवाब देंहटाएंपा लिया सब कुछ मगर, फिर भी बने हम अनमने हैं।दुःख और सुख भोगने को, जीव के तन-मन बने हैं।
जवाब देंहटाएं...यही तो मनुष्य स्वभाव है!...सुन्दर भावोक्ति!
बहुत बेहतरीन सुंदर भाव की रचना ,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ,,,,फुहार....: न जाने क्यों,
बहुत सुंदर और गहन भाव लिए हुये ... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव संयोजन
जवाब देंहटाएंफिर से चर्चा मंच पर, रविकर का उत्साह |
जवाब देंहटाएंसाजे सुन्दर लिंक सब, बैठ ताकता राह ||
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बुधवारीय चर्चा मंच ।
saarthak rachna ...
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen .
बहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
आसमां पर चल रहे हैं, पाँव के नीचे धरा है,
जवाब देंहटाएंकल्पना में पल रहे हैं, सामने भोजन धरा है,
पा लिया सब कुछ मगर, फिर भी बने हम अनमने हैं।
दुःख और सुख भोगने को, जीव के तन-मन बने हैं।।
बहुत सुंदर .... सच्चाई कहती अच्छी रचना
जीवन दर्शन को दर्शाती सुन्दर शब्दों में भावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता, अच्छी सीख देती कविता..
जवाब देंहटाएंकाश ये बादल जल्दी जल्दी बरसे ....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कविता|
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत ही बढिया
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण वाक्यों की अभिव्यक्ति|
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