![]() बात का ग़र ग़िला नहीं होता रार का सिलसिला नहीं होता ग़र न ज़ज़्बात होते सीने में दिल किसी से मिला नहीं होता आम में ज़ायका नहीं आता वो अगर पिलपिला नहीं होता तिनके-तिनके अगर नहीं चुनते तो बना घोंसला नहीं होता दाद मिलती नहीं अगर उनसे तो बढ़ा हौसला नहीं होता प्यार में बेवफा अगर होते संग में काफिला नहीं होता “रूप" आता नहीं बगीचे में, फूल जब तक खिला नहीं होता |
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गुरुवार, 7 जून 2012
"रार का सिलसिला नहीं होता" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ग़र न ज़ज़्बात होते सीने में
जवाब देंहटाएंदिल किसी से मिला नहीं होता …………खूबसूरत जज़्बात उकेरे हैं।
बहुत बढ़िया मौसमी रचना ...वाह
जवाब देंहटाएंआम में ज़ायका नहीं आता
जवाब देंहटाएंवो अगर पिलपिला नहीं होता
तिनके-तिनके अगर नहीं चुनते
तो बना घोंसला नहीं होता
Bahut khoob, Sundar !
ग़र न ज़ज़्बात होते सीने में
जवाब देंहटाएंदिल किसी से मिला नहीं होता |
बहुत सुन्दर रचना |
मेरे नए पोस्ट में आपका स्वागत है-
मेरी कविता:आंसू पश्चाताप के
खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंग़र न ज़ज़्बात होते सीने में
जवाब देंहटाएंदिल किसी से मिला नहीं होता
सब कुछ कह दिया शास्त्री जी आपने ......
शनिवार 09/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंbahot khoobsoorat.....
जवाब देंहटाएंआम में ज़ायका नहीं आता
जवाब देंहटाएंवो अगर पिलपिला नहीं होता
दाद मिलती नहीं अगर उनसे
तो बढ़ा हौसला नहीं होता
प्यार में बेवफा अगर होते
संग में काफिला नहीं होता
सुंदर प्रस्तुति शास्त्री जी ,,,,,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
वाह! बड़ी खुबसूरत गजल....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई.
बहुत ही खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंआम में ज़ायका नहीं आता
जवाब देंहटाएंवो अगर पिलपिला नहीं होता
बहुत खूब.
आम में ज़ायका नहीं आता
जवाब देंहटाएंवो अगर पिलपिला नहीं होता
यह प्रयोग बहुत अच्छा लगा।
दाद मिलती नहीं अगर उनसे
जवाब देंहटाएंतो बढ़ा हौसला नहीं होता
वाह बहुत खूब .....और सच भी हैं ..
ग़र न ज़ज़्बात होते सीने में
जवाब देंहटाएंदिल किसी से मिला नहीं होता !
सारा खेल तो बस यहीं से सुरू होता है!!
वाह कमाल की गज़ल शास्त्री जी बहुत ही सुंदर ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गजल
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं