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दीप खुशियों के जलाओ, आ रही दीपावली।
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली।।
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क्या करेगा तम वहाँ, होंगे अगर नन्हें दिए,
रात झिल-मिल कर रही, नभ में सितारों को लिए,
दीन की कुटिया में खाना, खा रही दीपावली।
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली।।
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नेह के दीपक सभी को, अब जलाना चाहिए,
प्यार से उल्लास से, उत्सव मनाना चाहिए,
उन्नति का पथ हमें, दिखला रही दीपावली।
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली।।
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शायरों-कवियों के मन में उमड़ते उद्गार हैं,
बाँटते हैं लोग अपनों को यहाँ उपहार हैं,
गीत-ग़ज़लों के तराने, गा रही दीपावली।
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली।।
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गजानन के साथ, लक्ष्मी-शारदा की वन्दना,
देवताओं के लिए अब, द्वार करना बन्द ना,
मन्त्र को उत्कर्ष के, सिखला रही दीपावली।
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली।।
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शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2019
गीत "नेह के दीपक" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
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कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
"दीन की कुटिया में खाना, खा रही दीपावली"
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर आदरणीय, हृदय पुष्प खिल उठा, दीपोत्सव की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२७ -१०-२०१९ ) को "रौशन हो परिवेश" ( चर्चा अंक - ३५०१ ) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
जवाब देंहटाएंकृपया शनिवार को रविवार पढ़े |