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सज्जनता बेहोश हो गई,
दुर्जनता पसरी आँगन में।
कोयलिया खामोश हो गई,
मैना चहक रहीं उपवन में।।
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गहने तारे, कपड़े फाड़े,
लाज घूमती बदन उघाड़े,
यौवन के बाजार लगे हैं,
नग्न-नग्न शृंगार सजे हैं,
काँटें बिखरे हैं कानन में।
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मानवता की झोली खाली,
दानवता की है दीवाली,
चमन हुआ बेशर्म-मवाली,
मदिरा में डूबा है माली,
दम घुटता है आज वतन में।
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शीतलता रवि ने फैलाई,
पूनम ताप बढ़ाने आई,
बेमौसम में बदली छाई,
धरती पर फैली है काई,
दशा देख दुख होता मन में।
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सुख की खातिर पश्चिमवाले,
आते थे होकर मतवाले,
आज रीत ने पलटा खाया,
हमने उल्टा पथ अपनाया,
खोज रहे हम सुख को धन में।
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श्वान पालते बालों वाले,
बौने बने बड़े मनवाले,
जो थे राह दिखाने वाले,
भटक गये हैं बीहड-वन में।
मैना चहक रहीं उपवन में।।
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@दम घुटता है आज चमन में......
जवाब देंहटाएंसहमत !
शानदार! बहुत ही अच्छा लिखा है ऐसे ही लिखते रहिए। हम कविता तो नहीं पर शायरी लिखते हैं। हमारी शायरी पढ़ने के लिए आप नीचे क्लिक कर सकते हैं।
जवाब देंहटाएंजुल्फ शायरी
मौत के ऊपर शायरी
बहुत बढ़िया सर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत! सटीक सा चित्रण करती आज के समय का।
जवाब देंहटाएंbahut achhi article likhi hai aapne
जवाब देंहटाएंashwagandha benefits in hindi
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