जो मानवता के लिए, चढ़ता गया सलीब।
वो ही होता कौम का, सबसे बड़ा हबीब।।
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जिसमें होती वीरता, वही भेदता व्यूह।
चलता उसके साथ ही, जग में विज्ञ समूह।।
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मंजिल हो जिस राह में, उस पर चलते लोग।
पालन करता नियम जो, वो ही रहे निरोग।।
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जो जन सेवा के लिए, करता है पुरुषार्थ।
उसके सारे काम ही, कहलाते परमार्थ।।
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थोथी बातों से नहीं, कोई बने मसीह।
लालच में जपता सदा, ढोंगी ही तस्बीह।।
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जिसके दिल में हों भरे, ममता-समता-प्यार।
वो जनता के हृदय पर, कर लेता अघिकार।।
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दीन-दुखी-असहाय को, बाँटो कुछ उपहार।
शिक्षा देता है यही, क्रिसमस का त्यौहार।।
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बुधवार, 25 दिसंबर 2019
दोहे "बाँटो कुछ उपहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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