-- बस इतना उपहार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। जीवन जीने की है आशा, चलता रहता खेल-तमाशा, सुर की मृदु झनकार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। वाद-विवाद भले फैले हों, अन्तस कभी नहीं मैले हों, आपस में मनुहार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। सबकी सुनना, अपनी कहना, बच्चों की बातों को सहना, हरा-भरा परिवार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। पहले जैसा 'रूप' नहीं अब, पहले जैसी धूप नहीं अब, हमको थोड़ा प्यार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। साथी साथ निभाते रहना, उपवन को महकाते रहना, हँसी-खुशी संसार चाहिए। ममता का आधार चाहिए।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शनिवार, 4 दिसंबर 2021
गीत "48वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-5 दिसम्बर, 2021" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
-
सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
आदरणीय शास्त्रीजी, बहुत बहुत शुभकामनाएँ, बधाई व सादर प्रणाम आप दोनों को।
जवाब देंहटाएंपहले जैसा 'रूप' नहीं अब,
जवाब देंहटाएंपहले जैसी धूप नहीं अब,
हमको थोड़ा प्यार चाहिए।
ममता का आधार चाहिए।।
... बहुत सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन ।
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
(5-12-21) को "48वीं वैवाहिक वर्षगाँठ"
( चर्चा अंक4269)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
शुभकामनाएं आदरणीय शास्त्री जी को विवाह वर्षगांठ पर |
जवाब देंहटाएंआ0 सादर अभिवादन
जवाब देंहटाएंआपके वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
प्रणाम शास्त्री जी, आपको 48वीं वैवाहिक वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई। आज के दिन आपने क्या खूब ही लिखा है कि---वाद-विवाद भले फैले हों,
जवाब देंहटाएंअन्तस कभी नहीं मैले हों,
आपस में मनुहार चाहिए।
ममता का आधार चाहिए।। पुन: बधाई