-- आ रहा मधुमास फिर से, साज मौसम ने बजाया। प्रीत की सौगात लेकर, जन्मदिन फिर आज आया।। -- साल बीता, माह बीते, बीतते दिन-पल गये, बालपन-यौवन समय के साथ सारे ढल गये, फिर दरकते पत्थरों ने, ज़िन्दग़ी का गीत गाया। प्रीत की सौगात लेकर, जन्मदिन फिर आज आया।। -- धार के विपरीत ही चलता रहा हूँ मैं हमेशा, वक्त की रफ्तार को छलता रहा हूँ मैं हमेशा, प्रतिकूल को अनुकूल करके, पथ अलग मैंने बनाया। प्रीत की सौगात लेकर, जन्मदिन फिर आज आया।। गान कर भँवरे रिझाते हैं हमेशा ही सुमन को, सीख ली है देखकर मैंने परिन्दों की लगन को, बीन कर तृण-पात मैंने, नीड़ सपनों का बनाया। प्रीत की सौगात लेकर, जन्मदिन फिर आज आया।। -- लोग मेरे जन्मदिन पर, रस्म की करते अदायी, कम हुआ है साल पर, स्वीकार करता हूँ बधायी, देखकर अपनत्व सबका, हर्ष है मन में समाया। प्रीत की सौगात लेकर, जन्मदिन फिर आज आया।। -- |
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शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022
गीत " चार फरवरी-जन्मदिन फिर आज आया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जन्मदिन पर बहुत बहुत बधाई, सुंदर रचना!
जवाब देंहटाएंधार के विपरीत ही चलता रहा हूँ मैं हमेशा,
जवाब देंहटाएंवक्त की रफ्तार को छलता रहा हूँ मैं हमेशा,
प्रतिकूल को अनुकूल करके, पथ अलग मैंने बनाया।
प्रीत की सौगात लेकर, जन्मदिन फिर आज आया।।--
बहुत सुन्दर
विपरीत धारा के साथ जो नाव पार लगाता है, वही सही मायने में कुशल नाविक होता है।
पूर्ण स्वस्थता के साथ जीवन नैया चलती रहे और आप यूं ही साहित्य रचते रहे, यही ईश्वर से आपके जन्मदिन पर बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए प्रार्थना है।
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५ -०२ -२०२२ ) को
'तुझ में रब दिखता है'(चर्चा अंक -४३३२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जन्म दिवस पर सपरिवार बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर उद्गार। असीम शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत जन्मदिन की तहे दिल से हार्दिक-हार्दिक शुभकामनाएं💐🙏
जवाब देंहटाएं