कुंकुम बिन्दी मेंहदी, काले-काले बाल। रचकर दिखलाती हिना, अपना खूब कमाल।। मेंहदी को मत समझना, केवल एक रिवाज। सुहागिनों का गन्ध से, हिना खोलती राज।। हरी-भरी रहती हिना, क्या पतझड़-मधुमास। बिना हिना के सेज पर, खलता है सुख रास।। बालक बृद्ध जवान को, देती है आनन्द। शरबत लगता हिना का, जैसे हो मकरन्द।। शोधन करता रक्त का, मेंहदी का अवलेह। शिरोरोग को दूर कर, कुन्दन करती देह।। चूर्ण आँवला मेंहदी, भृंगराज लो संग। खिचड़ी केशों पर चढ़े, काला इससे रंग।। मेंहदी और अरण्ड के, पत्तों को लो पीस। जोड़ों की इस लेप से, मिट जाती है टीस।। |
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मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022
दोहे "मेंहदी का अवलेह" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मेहंदी के गुणों का सुंदर वर्णन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मेहंदी के रंग सार्थक दोहे।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर