कितना सुन्दर और सजीला। खट्टा-मीठा और रसीला।। -- हरे-सफेद, बैंगनी-काले। छोटे-लम्बे और निराले।। -- शीतलता को देने वाले। हैं शहतूत बहुत गुण वाले।। -- पारा जब दिन का बढ़ जाता। तब शहतूत बहुत मन भाता। -- इसका वृक्ष बहुत उपयोगी। ठण्डी छाया बहुत निरोगी।। -- टहनी-डण्ठल सब हैं बढ़िया। -- रेशम के कीड़ों का पालन। -- आँगन-बगिया में उपजाओ। |
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गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022
बालकविता "खेतों में शहतूत उगाओ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२५ -०२ -२०२२ ) को
'खलिश मन की ..'(चर्चा अंक-४३५१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
टहनी-डण्ठल सब हैं बढ़िया।
जवाब देंहटाएंइनसे बनती हैं टोकरियाँ।
–नयी जानकारी
सुन्दर रचना
सादर प्रणाम
बहुत ही खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंशहतूत सच में बहुत ही स्वादिष्ट फल है बहुत मजा आता है खाने में और चटनी बना कर खाने में तो और भी ज्यादा मजा आ जाता है!
बहुत ही सुन्दर बालकविता।
जवाब देंहटाएंवाह! सार्थक सुंदर।
जवाब देंहटाएं