♥ दोहा ♥
जनमत में ताकत बड़ी, हुआ प्रमाणित आज।
चाहे जिसके बाँध दे, जनता सिर पर ताज।।
♥ ग़ज़ल ♥
चोट कमल ने पहुँचायी, झाड़ू की तगड़ी मार पड़ी।
दिल्ली के दिल में पंजे की. हालत हुई खराब बड़ी।।
पहले जैसे नहीं रहे हैं, शरद-मुलायम-माया अब,
चला रहे हैं व्यंग्यबाण सब, आयी कैसी विकट घड़ी।
अन्ना को तो झेल लिया, पर रामदेव से बचे नहीं,
आप (AAP) पहनकर
गांधीटोपी, खींच रहा उजली पगड़ी।
काँग्रेस की नहीं जरूरत, गांधी जी का कहना था,
किन्तु न मानी बात अभी तक, फाँस गले में रही गड़ी।
झेल रही जनता दशकों से, अब औकात बताई है,
साथ हाथ का छोड़, हुई अपने बूते पर आज खड़ी।
“रूप” विदेशी पंजे का, अब लोगों ने पहचाना है,
बेटे-बाप और पोते की, नहीं चलेगी अब तिकड़ी।
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मंगलवार, 10 दिसंबर 2013
"एक समसामयिक दोहा-और ग़ज़ल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
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बढ़िया सटीक और सामयिक !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट भाव -मछलियाँ
new post हाइगा -जानवर
क्या बात वाह!
जवाब देंहटाएंवाह सामयिक और सटीक दोहे..मेरी नई पोस्ट पर आप का स्वागत है..
जवाब देंहटाएंbahut badhiya ji
जवाब देंहटाएंसही बात !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चोट है समय की अत्याचारों पर !
जवाब देंहटाएंक्या बात है शास्त्री जी झाड़ू से पीटने वालों की अच्छी खबर ली आपने।
जवाब देंहटाएं